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जन्मदिन पर खासः आज भी सीधे दिल पर दस्तक देता है “पंचम दा” का संगीत

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आर.डी.बर्मन। (महान संगीतकार)

समरनीति न्यूज, एंटरटेनमेंटः  आज महान संगीतकार राहुल देव बर्मन (आरडी बर्मन) का जन्मदिन है जिनको लोग प्यार से सब पंचम दा कहकर बुलाता थे। सिर्फ 9 साल की उम्र से संगीत की धुनों पर काम करने वाले इस महान संगीतकार की धुनें 60 के दशक से लेकर आज के दौर में भी धूम मचा रही हैं। सभी संगीत प्रेमी जानते हैं कि पंचम दा की धुनें आम आदमी के सीधे दिल पर दस्तक देती हैं। 1939 में कोलकाता में जन्मे पंचम दा ने अपने कैरियर की शुरूआत अपने पिता संगीतकार सचिव देव बर्मन के साथ सहायक संगीतकार के रूप में की थी। ये उनकी गाडगिफ्ट काबलियत ही थी कि 9 साल की उम्र में जब बच्चे ठीक से बोलना तक नहीं सीख पाते हैं तब पंचम दा ने दो गानों की धुन बना डाली थी। इनमें से एक धुन “एक मेरी टोपी जरा पलट के आ,” थी जिसको 1956 में प्रदर्शित फिल्म फंटूश में जगह मिली। इसी तरह दूसरी धून थी “सर जो तेरा चकराए” जिसको प्रसिद्ध अभिनेता गुरूदत्त की फिल्म प्यास में जगह मिली। दोनों गानों ने उस वक्त के दौर में खासा तहलका मचाया।

 

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अपने पिता एसडी बर्मन के साथ आरडी बर्मन।

 

करीब 10 के संघर्ष के बाद पंचम दा को दोबारा मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। 1967 में प्रदर्शित फिल्म तीसरी मंजिल के सुपरहित गानों “आजा-आजा मैं हूं प्यार तेरा” और “औ हसीना जुल्फों वाली” ने पंचम दा को शोहरत की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इसके बाद पंचम दा के कैरियर के लिए 1972 का साल अहम पड़ाव रहा। इस साल कई सुपरहित गानों ने धूम मचा दी और पंचम दा के कैरियर के लिए मील का पत्थर साबित हुए। इनमें सीता और गीता, बांबे-टू-गोआ, जवानी दीवानी और जीवन साथी जैसी शानदार फिल्में शामिल रहीं। भारतीय सिनेमा की सबसे सुपरहिट फिल्म शोले में पंचम दा ने महबूबा-महबूता गाना गाकर धूम मचा दी।

 

एक गाने की रिकार्डिंग के दौरान मशहूर गायिका आशा घोसले के साथ आरडी बर्मन

गायिका आशा घोसले से काफी उतार-चढ़ाव के बाद की थी शादी   

पंचम दा और आशा घोसले के बीच प्रेम संबंध उस दौर में काफी चर्चा में रहे। हांलाकि दोनों की पहली मुलाकात के वक्त पंचम दा टीन एेजर थे और आशा जी उनसे कुछ साल बढ़ी थीं। शायद यही वजह थी कि कि पंचम दा की मां इसके लिए राजी नहीं थीं। मां के आज्ञाकारी पंचम दा, मां की बात टाल नहीं सके और आखिरकार उन्होंने काफी दिन शादी नहीं की। हालात कुछ इस तरह से बदले कि पंचम दा के पिता नहीं रहे और इस घटना ने उनको काफी हद तक तोड़ा। लेकिन उनकी मां तो इस सदमे से उबर ही नहीं पाईं। उनको मनोवैज्ञानिक परेशानियां होने लगीं। यहां तक कि उन्होंने अपने बेटे को भी पहचानना छोड़ दिया। सबकुछ समय पर छोड़ चुके पंचम दा ने आखिरकार 1980 में आशा से शादी कर ली।

 

स्वर्गीय अभिनेता राजेश खन्ना के साथ संगीतकार आरडी बर्मन।

तीन बार मिला सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का अबार्ड 

पंचम दा का फिल्मी दुनिया में अपना एक अलग कद था। सभी उनको बड़े सम्मान की नजरों से देखते थे। उनकी काबलियत से नए संगीतकार प्रेरणा लेते थे। आरडी बर्मन साहब को संगीत की दुनिया में उनके अदितीय योगदान के लिए तीन बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर अवार्ड दिया गया। 4 जनवरी 1994 को मात्र 54 साल की उम्र में पंचम दा का निधन हो गया और संगीत की दुनिया का यह बेताज बादशाह हम सभी को हमेशा के लिए छोड़कर चला गया।