केरल में वायरस प्रभावी, स्वास्थ्य महकमा कर रहा जागरूक
लखनऊः इन दिनों सोशल मीडिया पर निपाह वायरस के लक्षण और बचाव को लेकर जमकर प्रचार प्रसार हो रहा है। केरल में इस रोग की दस्त के बाद से लोगों में निपाह वायरस को लेकर काफी चर्चाएं भी हो रही हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार निपाह एक नई उभरती हुई बीमारी है, जो वायरस के संक्रमण के प्रभाव से जानवर और इंसान दोनों में तेजी से फैलता है। यह गंभीर बीमारियों कोजन्म देता है। इस बीमारी की पहली बार पहचान 1998 में मलेशिया के निपाह गांव से हुई थी, इसीलिए उस गांव के नाम पर इस वायरस को नाम दिया गया। भारत में इसका प्रभाव 2001 में देखने को मिला था। इस वर्ष भी इसके कई मामले सामने आ चुके हैं। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने सूबे के हर जिले के लिए एलर्ट जारी कर दिया है। सीतापुर में भी अधिकारियों ने इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
निपाह वायरस के क्या हैं लक्षण -कैसे पहचानें ः
निपाह वायरस पर काबू का विशेष इंतजाम नहीं है। इसके इलाज का एकमात्र तरीका कुछ दवाएं हैं जिसके सपोर्ट पर मरीज को राहत दी जाती है। वायरस की अवधि 5 से 14 दिनों तक होती है, जिसके बाद इसके लक्षण प्रभावी होने लगते हैं। सामान्य लक्षणों में बुखार, सिर दर्द, बेहोशी और मतली शामिल होती
है। कुछ मामलों में, व्यक्ति को गले में कुछ फंसने का अनुभव, पेट दर्द, उल्टी, थकान और निगाह का धुंधलापन महसूस हो सकता है। लक्षण दिखने से
दो दिन बाद पीड़ित के कोमा में जाने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं इंसेफेलाइटिस के संक्रमण की भी आशंका रहती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करता है।
इन सावधानियों से बचाएं खुद को निपाह से ः
सुनिश्चित करें कि आप जो खाना खा रहे हैं वह किसी चमगादड़ या उसके मलसे दूषित नहीं हुआ हो।
चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाएं। बाजार से साफ-स्वच्छ फल ही खरीदें।
बीमारी से पीड़ित किसी भी व्यक्ति से संपर्क न करें। यदि मिलना ही पड़े तो बाद में साबुन से अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें।
आमतौर पर शौचालय में इस्तेमाल होने वाली चीजें, जैसे बाल्टी और मग को खास तौर पर साफ रखें।
निपाह बुखार से मरने वाले किसी भी व्यक्ति के मृत शरीर को ले जाते समय चेहरे को ढंकना महत्वपूर्ण है।
निपाह को लेकर क्या कहते हैं डाक्टर
निपाह खतरनाक वायरस है। यह अभी तक केरल में सीमित है। अभी तक उत्तर भारत
में इससे प्रभावित रोगी नहीं मिले हैं। फिर भी उच्चस्तर से सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए हैं। इसके लिए हर जिले में जागरूकता संबंधी
कार्यक्रम चल रहे हैं लोगों को जागरूक किया जा रहा है। चमगादड़ के जूठे फल और उसके संपर्क में आने वाली चीजों के प्रयोग से बचने की सलाह दी जा
रही है। – डॉ. आर.के. नैयर