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राजीव दीक्षित की संदिग्ध मौत की 9 साल बाद खुलेगी फाइल, प्रधानमंत्री कार्यालय ने दुर्ग पुलिस को दिए आदेश

राजीव दीक्षित। (फाइल फोटो)

समरनीति न्यूज, डेस्कः लगभग 9 साल पहले हुई भारत स्वाभिमान आंदोलन के तत्कालीन राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में नए खुलासे हो सकते हैं। इस मामले की फाइल अब 9 साल बाद फिर खुलने जा रही है। बताते हैं कि इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय ने दुर्ग पुलिस को मामले की बारीकि से जांच के आदेश दिए हैं।

बिना पोस्टमार्टम कराए घर भेज दिया गया था शव    

दरअसल, भिलाई में राजीव की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद प्रशासन द्वारा पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था बल्कि बिना पोस्टमार्टम के ही अंतिम संस्कार के लिए शव को उनके घर भेज दिया गया था। अब सरकार इसे गंभीर चूक मान रही है।

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हांलाकि इस घटना ने लाखों लोगों को स्तब्ध कर दिया था। अब इसकी नए सिरे से जांच के आदेश के बाद नए खुलासे की लोग संभावना जता रहे हैं।मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि राजीव दीक्षित 2009 में बाबा रामदेव के संपर्क में आए थे और दीक्षित ने ही बाबा को देश की समस्याओं और कालेधन के बारे में जानकारियां दी थीं। मीडिया रिपोर्टों की माने तो इसके बाद ही बाबा रामदेव, स्व. दीक्षित के साथ काम करने पर सहमत हो गए थे।

ऐसे हुई थी राजीव दीक्षित की मौत 

मीडिया रिपोर्टों की मानें तो राजीव दीक्षित का वर्ष 2010 में 29 नवंबर को 2010 को दुर्ग जिले के बेमेतरा में सुबह 10 से दोपहर 1 बजे व्याख्यान था। बताया गया था कि इसके बाद दीक्षित दुर्ग के रहने वाले भारत स्वाभिमान आंदोलन के दया सागर नाम के पदाधिकारी के साथ भिलाई जाने के लिए रवाना हुए थे।

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इसी दौरान रास्ते में राजीव दीक्षित को पसीने के साथ बेचैनी महसूस हुई थी। बाद में बीएसआर अपोलो अस्पताल में उनकी मौत हो गई थी। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वहां डा. दिलीप रत्नानी की देख-रेख में उनका इलाज हुआ और रात 1 से 2 बजे के बीच उनकी मौत हो गई थी। डाक्टरों ने उनकी मौत की वजह हार्टअटैक बताया था। बताया जाता है कि बिना पोस्टमार्टम कराए ही 1 दिसंबर 2010 को दीक्षित का शव उनके घर भेज दिया गया था।