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मोदी सरकार में बैंकों ने 5 लाख करोड़ से ज्यादा का लोन बट्टा खाते में डाला..

finance minister Arun Jetly
अरुण जेटली, वित्तमंत्री।

समरनीति न्यूज, डेस्कः बैंकों की डूबती कश्ती को किनारे लगाने के लिए मोदी सरकार ने कर-दाताओं के पैसे दिए तो वहीं बैंक, भारी संख्या में लोन न चुकाने वालों के कर्ज को ठंडे बस्ते में डाल रही है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किए गए कुल लोन का करीब 80 फीसदी हिस्सा पिछले पांच सालों में (अप्रैल 2014 से) राइट ऑफ किया गया। अप्रैल 2014 से लेकर अब तक में कुल 5,55,603 करोड़ रुपये का लोन राइट ऑफ किया गया है। जानकारी के मुताबिक वित्त वर्ष 2018-2019 के दौरान बैंकों ने दिसंबर 2018 में ही 1,56,702 करोड़ रुपये के बैड लोन को राइट ऑफ (बट्टा खाते में डालना) किया है।

रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार..

इस हिसाब से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 10 सालों में सात लाख करोड़ से ज्यादा के बैड लोन को राइट ऑफ किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, बैड लोन या गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की संख्या कम दिखाने की जल्दबाजी में बैंकों ने 2016-17 में 1,08,374 करोड़ और 2017-18 में 1,61,328 करोड़ का लोन राइट ऑफ किया। वहीं वित्त वर्ष 2018-2019 को पहले छह महीने में 82,799 करोड़ और अक्टूबर-दिसंबर 2018 के बीच में 64000 करोड़ का लोन बट्टा खाते में डाला है।

Reserve Bank of India-1
रिजर्व बैंक आफ इंडिया।

बट्टा खाते में जाती है कौन सी राशि

मालूम हो कि बैंक उन कर्जों को बट्टा खाते में डालते हैं जिनकी वसूली करना उनके लिए मुश्किल होता है। बैंको का दावा है कि लोन को राइट ऑफ किए जाने के बाद भी कर्ज वापस करने पर दबाव डाला जाता है, हालांकि सूत्रों ने बताया कि 15-20 फीसदी से ज्यादा के लोन की वसूली नहीं हो पाती है। हालांकि आरबीआई ने बैंकों को जारी एक सर्कुलर में कहा था कि वसूली की सभी संभावित कोशिश करने के बाद ही लोन को राइट ऑफ किया जाना चाहिए, लेकिन साल दर साल बट्टा खाते में डाले गए लोन का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है।

किसके लोन किए गए राइट ऑफ

हैरानी की बात ये है कि इतने भारी मात्रा में लोन राइट ऑफ करने के बाद भी न तो बैंक और न ही आरबीआई ये जानकारी दे रही है कि आखिर ये कौन लोग हैं जिनके इतने लोन राइट ऑफ किए गए हैं, जबकि बैंक यूनियन लंबे समय से सरकार से डिफॉल्टरों के नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं।

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