नया नहीं है बांदा में एंबुलेंस व्यवस्था का यह हाल, अक्सर बुलाने पर नहीं पहुंचती 108
समरनीति न्यूज, बांदाः अभी दो दिन नहीं बीते जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों तक सस्ती दवाएं और बेहतर स्वास्थ सेवाएं पहुंचाने को लेकर एक एप्अस पर बात करते हुए अपनी चिंता जाहिर की थी। खुद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गरीबों तक बेहतर स्वास्थ सेवाएं पहुंचाने के प्रयास कर रहे हैं। अधिकारियों को दंडित भी कर रहे हैं। इस सबके बावजूद राजधानी से लगभग 220 किमी दूर बुंदेलखंड के बांदा मुख्यालय पर स्वास्थ्य सेवाएं किस कदर लापरवाही और गैरजिम्मेदारी की भेंट चढ़ी हुई हैं इसका जीता-जागता उदाहरण बीती रात हत्या की एक घटना के बाद देखने को मिला।
पुलिस ने दिखाई मानवता, बिना देरी चादर में घायल छात्रा को उठाकर ले गई अस्पताल
शहर के कटरा मुहल्ले में एक एएनएम की पढ़ाई कर रही छात्रा को गोली मार दी गई। वह घर में पड़ी तड़फ रही थी और मौके पर पहुंची पुलिस ने तेजी दिखाते हुए एंबुलेंस को भी बुलाने का फोन किया। खुद आसपास के लोगों ने भी एंबुलेंस 108 को बुलाने को फोन किया। लेकिन एंबुलेंस नहीं पहुंची। छात्रा की हालत की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने मानवीय चेहरा दिखाया और आखिरकार छात्रा को किसी तरह चादर में उठाकर जिला अस्पताल पहुंचाया। हांलाकि छात्रा को चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया। दुखद है कि उसे नहीं बचाया जा सका।
लेकिन अगर समय से एंबुलेंस आ गई होती तो शायद बच भी जाती। कम से कम छात्रा वंदना को उस पीड़ा से तो नहीं गुजरना पड़ता जो उसने घायल शरीर में चादर में लपेटे जाने के दौरान सही।
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गोली लगने की पीढ़ा पहले ही वो बर्दाश्त कर रही थी उपर से उसे और दर्द सहना पड़ा होगा। पुलिस से जो बन पड़ता था उसने किया और मानवीयता का परिचय ही दिया। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस न पहुंचाने के लिए दोषी है।
पहले भी एंबुलेंस न पहुंचने से कई महिलाओं को हो चुकी सड़क पर या रोडवेज पर डिलीवरी
जानकार बताते हैं कि बांदा में एंबुलेंस 108 की व्यवस्था बेहद चरमराई हुई है। इससे पहले भी कई बार महिलाओं को सड़क पर या रोडवेज बस अड्डे पर या सड़क किनारे डिलीवरी की पीढ़ा सहनी पड़ती है लेकिन बुलाने पर भी एंबुलेंस नहीं पहुंचती है। अगर पहुंच भी जाती है तो तबतक जरूरत खत्म हो चुकी होती है।
उधर, मामले में सीएमएस बांदा से बात करने की कोशिश की गई। लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।