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सोशलमीडिया एकाउंट को आधार से जोड़ने की तैयारी में सरकार, व्हाट्सअप-फेसबुक के विरोध के बाद अब सुप्रीमकोर्ट करेगा फैसला

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, डेस्कः अभी आप अपनी सोशल मीडिया अकाउंट यानी फेसबुक, व्हाट्सअप और ट्विटर आदि पर कई कमेंट करते हैं। इनमें कुछ सकारात्मक होते हैं, तो कुछ भड़काउ और अभद्र भी होते हैं। इसकी वजह है कि कई बार फर्जी नाम से अकाउंट खोलने के कारण ऐसे फेक एकाउंट धारकों के खिलाफ सरकारी तंत्रों को कार्रवाई करने में परेशानी होती है। ऐसे में अब सरकार की आपके सोशल मीडिया अकाउंट को आधार नंबर से जोड़ने की तैयारी है। अगर ऐसा हो जाता है तो आपको कोई भी प्रतिक्रिया या कमेंट देने में खुद भी काफी समझदारी बरतनी होगी और सामने वाला भी सोच-समझकर ही आपकी पोस्ट पर टिप्पणी करेगा। इस मामले में तमिलनाडु सरकार ने पहल की है और फर्जी खबरों और आतंकी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट को आधार नंबर से जोड़ने की आवश्यकता बताई थी।

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लागू होने में लगेगा अभी वक्त

हालांकि अभी यह दूर की बात है, क्योंकि यह मामला कोर्ट पहुंच गया है। इस सुझाव का फेसबुक और व्हाट्सअप ने विरोध किया है और मामले में कई याचिकाएं भी अलग-अलग कोर्ट में दायर की जा चुकी हैं। फेसबुक और व्हाट्सअप का कहना है कि आधार नंबर साझा करने से उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता नीति का उल्लंघन होगा। उसने तीसरे पक्ष के साथ आधार नंबर साझा करने से इंकार कर दिया है।

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सुप्रीमकोर्ट ने मांगा है जवाब

जहां तक बात कोर्ट में दायर याचिका की है तो इस मामले में मद्रास, मुंबई और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई हैं, लेकिन फेसबुक और व्हाट्सअप ने इसका विरोध किया है और इन सभी मामलों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने की गुहार लगाते हुए याचिका दायर की है।  सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक इंक और व्हाट्सअप की उस याचिका पर सुनवाई करने को सहमति दे दी है। इसके लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायूमर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने केंद्र सरकार के साथ ही गूगल ,ट्विटर, यूट्यूब आदि को नोटिस भेज कर 13 सितंबर तक जवाब देने को कहा है। इतना ही नहीं पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट में लंबित मामले की सुनवाई जारी रखने लेकिन कोई अंतिम फैसला न देने का भी निर्देश दिया है।

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