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बड़ी खबरः अब शुगर मिल्स के ‘वेस्ट’ से जलेंगे गांवों में घरों के चूल्हे, प्रेसमेड से बनेगी बायोगैस व सीएनजी

समरनीति न्यूज, कानपुरः नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट की ओर से एक अच्छी खबर आ रही है। इंस्टीट्यूट में प्रेसमेड से बायो गैस व सीएनजी बनाने की तकनीकि विकिसत की है। इतना ही नहीं बुधवार को इंस्टीट्यूट में प्रेसमेड से बायो गैस तैयार करके इसके द्वारा चूल्हा जलाकर भी दिखा दिया गया। दूसरी ओर शुगर एक्सपर्ट ने पायलेट प्रोजेक्ट लगाकर 50 केजी प्रेसमड से 450 बायो सीएनजी बनाई है। इस बात की जानकारी एनएसआई डायरेक्टर प्रो. नरेंद्र मोहन अग्रवाल ने दी। श्री अग्रवाल ने बताया है कि इस टेक्नोलॉजी से ग्रामीण क्षेत्र में किसान अपने घरों में बायोगैस का बेहतर इस्तेमाल कर सकते हैं। करीब एक केजी बायो सीएनजी बनाने में 18 से 20 रुपए खर्च होंगे।

नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट ने प्रेसमेड से बायो गैस व सीएनजी बनाने की तकनीक विकसित की 

उन्होंने बताया है कि संस्थान की शिखा सिंह व प्रोफेसर सीमा परोहा ने मिलकर इस बायो गैस व सीएनजी के प्रोजेक्ट पर काम किया है। करीब डेढ़ साल पहले लैब लेवल पर इस प्रोजेक्ट पर काम हुआ। फिर इंस्टीट्यूट की शुगर फैक्ट्री में पायलेट प्रोजेक्ट लगाया। इसकी कीमत लगभग 60 हजार आई। इस प्रोजेक्ट में एक बार में 50 केजी प्रेसमड (शुगर मिल का वेस्ट)  का उपयोग किया गया। बायो गैस बनाने में 90 प्रतिशत प्रेसमड व 10 प्रतिशत गोबर का प्रयोग किया गया। बताया है कि गोबर का मीठोजेनिक आर्गेनिक गैस को मीथेन में बदल देता है।

एेसे दिया जाएगा काम को अंजाम   

2500 टन वाली शुगर मिल में डेली करीब 87.5 से लेकर 100 टन तक प्रेसमड निकलता है. शुगर मिल अपनी सहूलियत के अनुसार सीएनजी व बायो गैस बनाने वाले प्रोजेक्ट लगा सकती है. सीएनजी व बायो गैस बनाने की एक साइकिल 15 दिन में पूरी होगी. इस हिसाब से 50 केजी वाले प्रेसमड से डेली एक से लेकर 30 केजी तक बायो सीएनसजी बनेगी.

गांवों का भी भर सकेगा पेट 

बताया जा रहा है कि शुगर मिल के आसपास के गांवों में भी बायो गैस बनाकर घरों में इसका उपयोग किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो निश्चित रूप से लोगों को बड़ा फायदा होगा। वेस्ट का निस्तारण भी हो जाएगा और ग्रामीणों को इसका पूरा-पूरा फायदा भी मिलेगा। बताते हैं कि बायो गैस बनाने के बाद कार्बन डाई आक्साइड व हाइड्रोजन सल्फाइड निकाल के बायो सीएनजी बनाई जा रही है। इसलिए कहीं न कहीं इससे गांवों के लोगों को भी काफी फायदा होगा।