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प्लेटलेट्स कम होने पर घबराइए नहीं, अब तीन गुना तेजी से होगी बढ़ोत्तरी

समरनीति न्यूज कानपुरः बारिश के साथ बीमारियों का मौसम भी आ गया है। डेंगू, मलेरिया, वायरल बीमारियां थोड़े दिनों में ही जोर पकड़ेंगी ऐसे में प्लेट्लेट्स की डिमांड भी बढ़ेगी। अभी शहर के ब्लड बैंकों में आरडीपी यानी रेंडम डोनर प्लेटलेट्स ही मरीजों को चढ़ाने के लिए मिलते हैं, लेकिन इस सीजन से ज्यादा असरदार एसडीपी यानी सिंगल डोनर प्लेटलेट्स भी मिलेंगे। इसकी खासियत यह है कि इस प्लेटलेट्स की एक यूनिट चढ़ाने से ही मरीज में प्लेटलेट्स काउंट 50 से 60 हजार तक बढ़ जाता है। शहर में अभी बेहद सीमित प्राइवेट संस्थानों में इसकी सुविधा है।

नहीं होगा इस बात का खतरा  

मरीजों को सामान्य रूप में चढ़ाई जाने वाली रैंडम डोनर प्लेटलेट्स से ब्लड ट्रांसफ्यूजन से होने वाली बीमारियों का खतरा रहता है। कारण है कि क्योंकि प्लेटलेट्स बार बार चढ़ाई जाती है। वहीं सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की एक यूनिट में ही पेशेंट की 50 से 60 हजार प्लेटलेट्स काउंट बढ़ जाता है। डेंगू के पेशेंट्स में खासा कारगर रहता है क्योंकि उनका प्लेटलेट्स काउंट तेजी से गिरता है।

आईएमए में हुई शुरुआत  

सिंगल डोनर प्लेटलेट सामान्य तौर पर मिलने वाली रेंडम डोनर प्लेटलेट से ज्यादा महंगी आती है। इसे निकालने के लिए एफेरिसिस मशीन की जरूरत होती है। आईएमए के चैरिटेबल ब्लड बैंक ने 17.50 लाख की लागत से इस मशीन को खरीदा है। इसके बाद यहां से एसडीपी मिलना शुरू हो गई है। जीएसवीएम ब्लड बैंक की नई बिल्डिंग में भी एफेरिसिस मशीन खरीदने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।

आईएमए प्रेसीडेंट डॉ.प्रवीन कटियार बताते हैं सिटी में ज्यादा ब्लड बैंकों या प्राइवेट हॉस्पिटल में एसडीपी की सुविधा नहीं है। चैटिरेबल ब्लड बैंक मे इसे बेहद कम कीमत पर दिया जा रहा है।