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पाकिस्तान में कैद अपनों की राह में पथराई आंखें, अब टूट रहा है सब्र

ग्राम प्रधान की मौजूदगी में अपनी आप-बीती सुनाते पीड़ित परिवार के लोग।

बांदाः  बेरोजगारी से बेहाल बुंदेलखंड के युवाओं का रोजगार के लिए देशभर में भटना किसी से छिपा नहीं है। कुछ युवा पंजाब, दिल्ली जाकर रोजी-रोटी कमाकर किसी तरह अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं तो कुछ गुजरात में समुद्र से मछली पकड़कर कमाई करते हैं। बांदा के तिंदवारी के जसईपुर गांव के रहने वाले ऐसे ही युवाओं लगभग एक दर्जन युवा बीते करीब छह-सात महीनों से पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं जो घर से गुजरात काम की तलाश में गए थे और वहां सूरत के ओखा बंदरगाह में समुद्र से मछली पकड़ने का काम कर रहे थे।

सूरत के ओखा बंदरगाह के पास मछली पकड़ते वक्त गलती से पहुंचे थे पाकिस्तान की सीमा में

इन लोगों के नाम देवी शरण, ओम प्रकाश, बाबू, चंद्र प्रकाश, विश्राम, महेंद्र, रज्जू, राजू, पप्पू, अखिलेश और अमित हैं। बताया जाता है कि ये सभी 11 लोग बीते बीते वर्ष 2017 के नवंबर माह में मछली पकड़ने के दौरान समुद्र में भारत की सीमा पार करके पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे जिसके बाद पाकिस्तान की समुद्री पुलिस ने इनको गिरफ्तार कर लिया और सीमा उलंघ्घन के जुर्म में सभी को जेल में डाल दिया।

बांदा के जसईपुर गांव के रहने वाले हैं सभी ग्यारह लोग,  छह महीने से कोई खैर-खबर नहीं मिली  

काम कराने वाले ठेकेदार ने इसकी जानकारी घरवालों को दी। परिवार के लोगों का उसी दिन से खाना-पीना लगभग बंद सा है। तब से इनकी होली-दिवाली सब बदरंग और काली बीती। ग्राम प्रधान ज्ञान यादव ने बताया कि वह अपने स्तर से पीड़ित परिवारों का पूरा ख्याल रख रहे हैं। पूरी मदद कर रहे हैं। मामले की जानकारी होते ही पीड़ित घरवालों से मिलने भाजपा, सपा जैसे दलों के सांसद और राज्यसभा सदस्य पीड़ित परिजनों को ढांढस बंधाने पहुंचे। नेताओं ने बढ़-चढ़कर मदद की बात तो कही लेकिन नतीजा शून्य रहा।

पीड़ित परिवार वालों को आश्वासनों का मरहम तो खूब मिला, लेकिन अपनों के आने की राह नहीं   

दोबारा न तो नेता जी लौटकर गांव पहुंचे और न ही उनके पाकिस्तान में बंद जसईपुर के युवाओं को छुड़ाने के लिए भारत सरकार से चिट्ठी-पत्री भेजने वाले आश्वासन ने कोई असर दिखाया। इस मामले में सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा ने बताया कि जब उनको मामले की जानकारी हुई तो तुरंत पीड़ित परिवार को ढांढस बंधाने गए थे। बावजूद इसके लिए पीड़ित उनके संसदीय क्षेत्र के नहीं थे लेकिन मानवता के नाते उन्होंने विदेश मंत्रालय को इस संबंध में पत्र लिखकर उचित कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि पीड़ितों की समस्या के प्रति उनकी संवेदनाएं हैं।