समरनीति न्यूज, डेस्कः अटल बिहारी बाजपेई राजनीतिक शिखर का एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर पक्ष ही नहीं, बल्कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं के ह्रदय में भी आदर का भाव आ जाता है। यह बात कहने में बहुत आसान है लेकिन ऐसा व्यक्तित्व होना अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी इसकी मिसाल रहे हैं।
पक्ष ही नहीं विपक्ष भी दिल थामकर सुनता था अटल जी के भाषण, हर कोई था इस प्रखर वक्ता की बातों का कायल
एक राष्ट्रवादी नेता के साथ-साथ उदारवादी चेहरे के रूप में पहचान रखने वाले अटल बिहारी बाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को देश के ग्वालियर में हुआ था। वह वहीं जन्मे और पले-बढ़े भी।
ग्वालियर में कमल का बाग इलाके की गलियों में बचपन बिताने वाले अटल जी के पिता कृष्णकांत बाजपेई भी एक कवि थे और वे मूल रूप से आगरा के रहने वाले थे लेकिन अटल जी का पूरा बचपन और युवावस्था का काफी समय ग्वालियर में ही बीता।
कवि पिता की संतान होने की वजह से शायद अटलजी के व्यक्तित्व में एक कवि भी समाहित रहा। राजनीति में आने से पहले अटल जी एक कवि और पत्रकार थे। हांलाकि कविताओं का उनका सिलसिला बाद में भी चलता रहा। वीर रस से ओत-प्रोत उनकी कविताएं आज भी युवाओं को बड़ी प्रेरणा देती हैं।
कानपुर से रहा है अटल जी का गहरा जुड़ाव
अटल बिहारी बाजपेई ने कानपुर के डीएवी कालेज से राजनीति शास्त्र में एमए की डिग्री ली थी। साथ ही उन्होंने यहां एलएलबी की पढ़ाई के लिए भी दाखिला लिया था। हांलाकि बाद में उन्होंने यह पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी।
वे पत्रकारिता और सार्वजनिक कार्यों में लग गए। उन्होंने कानपुर में रहकर काफी काम किया। यहां के लोगों से वह काफी गहराई से जुड़े रहे। यहां के लोगों के दिलों में बाजपेई जी के लिए खास जगह है।
10 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा पहुंचे, 3 बार रहे प्रधानमंत्री
अद्भुत और आकर्ष्क व्यक्तित्व के स्वामी अटल बिहारी बाजपेई वर्ष 1957 से वर्ष 2014 तक लगातार 10 बार लोकसभा जीतकर पहुंचे। वहीं 2 बार राज्यसभा सांसद भी रहे। तीन बार देश की बागडोर उनके हाथों में रही। एक बार तो मात्र 13 दिन के लिए वह प्रधानमंत्री रहे। दूसरी बार प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी बाजपेई ने दूसरा परमाणु परीक्षण करने का कड़ा निर्णय लिया था जिसने देश की सुरक्षा को नई दिशा दी। उनका यह निर्णय मील की पत्थर बन गया।
राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने जाकर दिया था भारत रत्न
अटल बिहारी बाजपेई देश के उन बड़े नेतों में शामिल हैं जिनको देश का सबसे बड़ा सम्मान, भारत रत्न दिया गया। हांलाकि तबितय खराब होने के कारण श्री बाजपेई को यह सम्मान उनके घर जाकर दिया गया। सम्मान देने के लिए खुद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी वहां पहुंचे थे। यह सम्मान श्री बाजपेई को 25 सितंबर 2014 को दिया गया था।
भारतीय जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष थे अटल जी
राजनीति में एक अलग मुकाम बनाने वाले अटल बिहारी बाजपेई की शख्शियत का कोई जोड़ नहीं है। 1977 में मोरारजी देशाई की सरकार में विदेश मंत्री बने अटल जी ने फिर मुड़कर नहीं देखा। दरअसल, 1980 में जब जनसंघ पार्टी का नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी हुआ। या फिर कहिए कि जब भारतीय जनता पार्टी बनी तो उसके पहले अध्यक्ष अटल बिहारी बाजपेई ही बने। उन्होंने बीजेपी को नई पहचान देने के साथ ही उंचाइयों पर पहुंचाया।
नेहरू जी ने पहले ही कर दी थी अटल जी के उज्जवल भविष्य की भविष्यवाणी
इतिहास के पन्नों में एक बड़ा रौचक किस्सा दर्ज है। दरअसल, यह बात उस समय की है जब पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। उस वक्त युवा नेता अटल जी पहली-पहली बार चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। वह पीछे की सीट पर बैठा करते थे। एक दिन उसके एक सवाल का नेहरू जी ने न सिर्फ जवाब दिया। बल्कि अटल जी के व्यक्तित्व को देखते हुए कहा कि यह लड़का (अटल जी) एक दिन बहुत आगे जाएगा।
19 फरवरी 1999 में लाहौर बस सेवा शुरू की और खुद बस लेकर गए पाकिस्तान
अटल जी ने साहस का परिचय दिया और प्रधानमंत्री रहते हुए पाकिस्तान से दिपक्षीय संबंध सुधारने के लिए गंभीर प्रयास किए। 19 फरवरी 1999 में अटल जी ने पाकिस्तान के लिए लाहौर बस सेवा शुरू की थी। पहली बस लेकर खुद अटल जी पाकिस्तान गए थे और वहां के राष्ट्रपति नवाज शरीफ से मिले थे। अटल जी के इन प्रयासों को लेकर दुनियाभर में उनकी प्रशंसा हुई थी।