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माया के एक तीर से 2019 लोकसभा में सधेंगे कई निशाने

बसपा सुप्रीमों मायावती। (फाइल फोटो)

बसपा सुप्रीमों ने भाई आनंद कुमार को पार्टी उपाध्यक्ष पद से हटाकर दिए कई सख्त संदेश

लखनऊः पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में संगठन में बदलाव करके बसपा सुप्रीमों मायावती ने एक तीर से दो निशाने साधने का काम किया है जिसका बहुत बड़ा असर आने वाले 2019 के लोकसभा चुनाव में दिखाई देगा। मायावती ने अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से हटा दिया। इसके राजनीतिक हल्के में कई मायने हैं। एक तो मायावती यह संदेश देने में कामयाब रहीं कि उनकी पार्टी में परिवारवाद के लिए कोई जगह नहीं है और कोई भी खुद उनसे या संगठन से उपर नहीं है।

साथ ही अपने इस कदम से विपक्ष द्वारा परिवारवाद के मुद्दे पर हमला करने से पहले ही मायावती ने उसकी बोलती बंद कर दी। अब क्योंकि विपक्ष आने वाले चुनाव में मायावती पर कम से कम इस मुद्दे को लेकर हमलावर नहीं हो पाएगा। हांलाकि दूसरी ओर देखें तो इस कदम से मायावती ने दलित वोटों के साथ पिछड़ों को भी अपने साथ जोड़ने का काम किया है क्योंकि मायावती ने भाई को हटाकर राम अचल राजभर को पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बना दिया है जो उनकी पार्टी से पिछड़ों को जोडऩे का काम करेगा।

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दरअसल, राजभर पहले बसपा प्रदेश अध्यक्ष थे। उनको हटाए जाने के बाद मायावती को डर था कि कहीं पिछड़े वर्ग का वोटबैंक उनके छिटक न जाए। इसलिए इस तरह से मायावती ने पिछड़ों की पार्टी में हैसियत बढ़ाकर इस वर्ग के वोटबैंक को अपनी ओर खींचने का काम किया है। इसका असर आने वाले चुनावों में देखने को मिलेगा। एक अन्य बदलाव करते हुए माया ने पूर्व एमएलसी आरएस कुशवाह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है।

इसलिए अब कुशवाह वोट भी इससे माया के साथ होने की संभावना बढ़ गई है। मायावती के इस कदम को भले ही फिलहाल वक्त हल्के में देखा जा रहा हो। लेकिन राजनीतिक गलियारे में इसे लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। इतना ही नहीं दूसरे दल भी अपनी नई रणनीति को लेकर दोबारा विचार करने लगे हैं।