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भारतीयों पर बेअसर साबित हो रहीं हैं एटीबायोटिक दवाएं

सांकेतिक फोटो।

समरनीति न्यूज डेस्कः भविष्य को लेकर एक बेहद जरूरी सवाल-अगर एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो गईं तो क्या होगा? अलेक्जेंडर फ्लेमिंग ने 1945 में पेंसिलिन का आविष्कार करने के लिए जब नोबेल पुरस्कार हासिल किया था, उसी दिन उन्होंने चेतावनी दे दी थी कि एंटीबायोटिक की वजह से एक दिन बैक्टीरिया पलटवार कर सकते हैं। वर्तमान में ऐसा ही हो रहा है। एंटीबायोटिक दवाओं को लेकर एक रिपोर्ट पेश किया गया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक स्वस्थ भारतीयों पर अब एंटीबायोटिक दवाएं बेसअर हो रही है, जो बेहद चिंता का विषय है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से सर्वेक्षण में पता चला है कि स्वस्थ्य भारतीयों पर अब एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं।

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207 स्वस्थ भारतीयों पर टेस्ट   

रिसर्च में खुलासा हुआ है कि तीन में से दो स्वस्थ भारतीयों पर इन दवाओं का कोई असर नहीं हुआ। यह एक चिंता का विषय है। इससे पता चलता है कि भारतीयों में अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया गया और अब शरीर पर उसका असर पडऩा बंद हो गया है। रिसर्च के लिए 207 स्वस्थ भारतीयों को चुना गया। इन लोगों ने बीते एक महीने में किसी भी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं किया और ना ही ये बीमार पड़े। फिर इन सभी के स्टूल का टेस्ट किया गया। परीक्षण में पता चला कि 207 में से 139 लोगों पर एंटीबायोटिक का असर नहीं हुआ। 139 लोग ऐसे थे जिन पर एक और एक से अधिक एंटीबायोटिक का असर नहीं पड़ा। जिन दो एंटीबायोटिक सेफलफोरिन्स (60 फीसदी) और फ्लूऑरोक्यिनोलोनस (41.5 फीसदी) का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है, इनका कोई असर नहीं हुआ।

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क्या गंभीर चेतावनी है ये ?  

डॉक्टर इन नतीजों को चौंकाने वाला और गंभीर मान रहे हैं। इससे भविष्य में परेशानी बढऩे की संभावना है। डॉक्टरों का मानना है कि एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल जिस अनुपयुक्त तरीके से किया गया है, उसका असर इंसान के शरीर पर बेहद गलत तरीके से पड़ा है। अभी के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि एंटीबायोटिक के बेअसर होने का स्तर निचले स्तर पर है, लेकिन भविष्य में यदि सुधार नहीं हुआ तो यह स्तर और बढ़ भी सकता है।

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एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध सेवन से रोगाणुओं में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जा रही है और दवाओं का असर खत्म होता जा रहा है। परिणामस्वरूप गंभीर बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं। चूंकि, भारत में एंटीबायोटिक दवाओं की खपत सबसे ज्यादा है, इस वजह से इसके दुष्परिणाम भी भारत में सबसे ज्यादा दिखायी दे रहे हैं। ऐसे में, एंटीबायोटिक दवाओं के दुरुपयोग से बचने के उपाय ढूंढऩे बहुत जरूरी हैं।

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भविष्य में आएंगी ये दिक्कतें  

रिसर्च में पता चला कि बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जिन पर इसका पूरी तरह असर हुआ। अगर स्वस्थ लोगों पर एंटीबायोटिक बेअसर होगी तो भविष्य में उनके इंफेक्शन आदि के इलाज में काफी दिक्कत आएगी। ऐसे कई कारण हैं, जिसके चलते ये परिणाम आ रहे हैं। इसका एक प्रमुख कारण है सामान्य बीमारियों में भी एंटीबायोटिक का अधिक इस्तेमाल होना।

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हालात ये हैं कि सर्दी और जुकाम जैसी बीमारियों में भी एंटीबायोटिक का इस्तेमाल किया जाता है। अधिकतर बैक्टीरिया एंटीबायोटिक्स दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध विकसित कर चुके हैं। ऐसा एंटीबायोटिक्स दवाओं के अंधाधुन उपयोग से हो रहा है। समय के अनुसार, एंटीबायोटिक्स की कई पीढ़ी आयी और प्रभावहीन हुई और अब तो ब्राडस्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स भी खतरे में हैं। इसलिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग सावधानी से करना चाहिए।