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सीबीआई के खनिज अधिकारी मोइनुद्दीन के ठिकानों पर छापे से बांदा के करोड़पति ‘बाबुओं’ की उड़ी नींद

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, लखनऊ/बांदाः हाईकोर्ट के आदेश पर अवैध खनन की जांच के दौरान सीबीआई ने हमीरपुर की तत्कालीन डीएम बी.चंद्रकला समेत कई पर कार्रवाई की। इस दौरान तत्कालीन खनिज अधिकारी मोइनुद्दीन के खिलाफ भी कार्रवाई हुई और उसके ठिकानों पर छापेमारी की गई। सूत्रों की माने तो इस खनिज अधिकारी मोइनुद्दीन के घर से 12 लाख नगद और 1.8 किलो सोना मिला है। बांदा के रहने वाले मोइनुद्दीन के जिले से गहरे तार जुड़े हैं। उसकी मिलीभगत से बांदा में खनिज विभाग के बाबू करोड़पति बन गए हैं।

छापेमारी के बाद मोइनुद्दीन की हैसियत को लेकर है लोगों में चर्चा 

सीबीआई की कार्रवाई के बाद मोइनुद्दीन की हैसियत को लेकर लोग खासे हैरान हैं। कारण है कि तत्कालनी खनिज अधिकारी मोइनुद्दीन बांदा से बड़े करीब से जुड़े हैं और यहां के लोग शुरू से लेकर अबतक भलीभांति जानते-समझते हैं।

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दरअसल, कभी आम आदमी की हैसियत रखने वाले मोईनुद्दीन के बारे में अब लोगों में चर्चा रहती है कि वह बड़ी तेजी से अरबपतियों वाली हैसियत वाले हो गए। बांदा में स्टेशन के पास एक बड़े होटल में उनका बराबरी का हिस्सा बताया जा रहा है। हांलाकि यह बात अलग है कि खुद को फंसने न देने के लिए हिस्सेदारी अपने रिश्तेदारों-नातेदारों के नाम करा दी जाती है।

कई बाबुओं पर है करोड़ों की नामी-बेनामी संपत्ति

दरअसल, बात यहीं खत्म नहीं हो रही है बल्कि ऐसे कई मोइनुद्दीन बुंदेलखंड खासकर बांदा मंडल मुख्यालय पर सरकारी दफ्तरों के बाबुओं की शक्ल में छिपे हैं। सूत्र बताते हैं कि इन बाबुओं की संपत्तियों की अगर जांच हो जाए तो इनके पास बेहिसाब धन-दौलत मिलेगी। जानकार बताते हैं कि इनमें से ज्यादातर बाबुओं को बसपा सरकार में एक स्थानीय प्रदेशस्तर के नेता का संरक्षण मिला था। इसके बाद सपा सरकार में भी ये खूब फले-फूले।

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खनिज विभाग का एक बाबू सबपर भारी 

इन बाबुओं में जिला खनिज विभाग का एक बाबू तो ऐसा है कि जिसका कई बार यहां से तबादला हुआ। लेकिन अपनी पहुंच के चलते फिर यहां तबादला कराकर लौट आया। इस बाबू के बारे में कहा जाता है कि यह कई खनिज अधिकारियों पर भारी पड़ जाता है। अब भी खनिज विभाग में बांदा में डेरा जमाए है। सूत्र बताते हैं कि आज इसकी हैसियत करोड़ों से उपर है।

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इसके कई मकान हैं। सूत्र बताते हैं कि यह बाबू खनिज अधिकारी मोइनुद्दीन का दूर का रिश्तेदार भी है। बांदा के कलेक्ट्रेट, विकास भवन और पीडब्ल्यूडी और वनविभाग जैसे कई विभागों में करोड़पति बाबू और कर्मचारी कई साल से एक ही टेबुल या कुर्सी पर जमे हुए है जो सरकारी योजनाओं को दीमक की तरह खुद ही चट कर जाते हैं। इन बाबूओं का पेट इतना फैल चुका है कि बड़ी से बड़ी योजनाएं कहां चली जाती हैं, अधिकारी भी नहीं जान पाते हैं। सूत्रों की माने तो इन बाबुओं के पास एक-दो नहीं बल्कि दर्जनों मकान-प्लाट और दूसरी बेनामी संपत्तियां बेहिसाब हैं।