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10 दिन पहले पत्नी सीमा ने माफिया पति मुन्ना बजरंगी की हत्या का जताया था अंदेशा

मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह।

समरनीति न्यूज, लखनऊः 10 दिन पहले ही पत्नी सीमा सिंह ने जताया था हत्या का अंदेशाः माफिया मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने लगभग 10 दिन पहले ही अपने पति की हत्या की आशंका जाहिर करते हुए सुरक्षा की मांग की थी। सीमा ने एक प्रेसवार्ता की थी जिसमें कहा था कि एसटीएफ के एक अधिकारी के इशारे पर उसके पति की हत्या हो सकती है। प्रेसकांफ्रेंस के दौरान सीमा सिंह ने यह भी कहा था कि लखनऊ पुलिस विकास नगर (लखनऊ) में हुई 2016 में उनके भाई पुष्पजीत की हत्या में फाइनल रिपोर्ट लगाने की तैयारी कर रही है। आरोप था कि एक अन्य मामले, तारीक मर्डर केस में भी एसटीएफ आरोपियों को बचा रही है। माफिया की पत्नी का आरोप था कि मुन्ना जेल में गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है और डाक्टरों ने आने-जाने पर रोक लगा दी है। सीमा सिंह का आरोप था कि उनका पति झांसी जेल में बंद है और एसटीएफ के इंस्पेक्टर घनश्याम यादव एक बड़े अधिकारी के इशारे पर उनके पति मुन्ना बजरंगी की हत्या की साजिश रच ररहे हैं। सीमा सिंह ने आरोप लगाया था कि 9 मार्च 2018 को एसटीएफ इंस्पेक्टर घनश्याम यादव झांसी जेल में कैदी कमलेश से मिलने पहुंचे थे ताकि उनके पति को खाने में जहर देकर हत्या करा सकें। सीमा का कहना था कि इसकी शिकायत वाराणसी कोर्ट में की गई थी और जांच में सीसीटीवी फुटेज में घनश्याम यादव के झांसी जेल जाने की पुष्टि हुई थी।

पिता बनाना चाहते थे अफसर, शौक ने बना दिया डान  

माफिया डान मुन्ना बजरंगी। (फाइल फोटो)

बागपत जेल में मारा गए मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है। उसका जन्म 1967 में यूपी के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था। उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा-लिखाकर बड़ा अफसर बनाना चाहते थे लेकिन मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। उसने 5वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी। किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक हुए जो उसे अपराध की दुनिया में खींच ले गए। मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था। वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था। यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज हुआ। फिर मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा।

वह अपराध के दलदल में धंसता चला गया। मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था। उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण मिल गया। बताते हैं कि मुन्ना ने लूट के लिए एक व्यापारी की हत्या कर दी। आका के इशारे पर ही जौनपुर के भाजपा नेता रामचंद्र सिंह की हत्या कर पूर्वांचल का डान बनने लगा। एक-एक करके उसने कई लोगों की जान ली। पूर्वांचल में डान बनने को मुन्ना बजरंगी ने 90 के दशक में पूर्वांचल के बाहुबली माफिया और राजनेता मुख्तार अंसारी का हाथ थाम लिया। मुख्तार अंसारी अपराध की दुनिया से राजनीति में कदम रख चुका था और 1996 में सपा के टिकट पर मऊ से विधायक भी बन गया। गैंग की ताकत बहुत बढ़ गई. मुन्ना बजरंगी अब मुख्तार अंसारी के इशारों पर काम कर रहा था।

भाजपा विधायक कृष्णानंद की हत्या से उभरा मुन्ना का नाम  

पूर्वांचल में वसूली कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था। तेजी से उभरते भाजपा के विधायक कृष्णानंद राय उसके लिए चुनौती बनने लगे। भाजपा विधायक पर डान ब्रिजेश सिंह का हाथ बताया जाता था। कृष्णानंद राय की बढ़ती ताकत माफिया मुख्तार को रास नहीं आ रही थी। आखिरकार उसने भाजपा विधायक कृष्णानंद को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना को सौंपी। बताते हैं कि मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना ने विधायक कृष्णानंद राय को बड़े ही दुस्साहिसक ढंग से खत्म कर दिया। उसने लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर एके-47 से सैक़ड़ों गोलियां चलाईं। विधायक के साथ छह लोग मारे गए थे। हर मृतक के शरीर से 60 से 100 तक गोलियां बरामद हुईं थी। राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई।

नाटकीय ढंग से दिल्ली पुलिस ने मुंबई से किया था गिरफ्तार   

भाजपा विधायक की हत्या के अलावा कई मामलों में यूपी पुलिस, एसटीएफ और सीबीआई को मुन्ना बजरंगी की तलाश थी। उसके सिर पर 7 लाख का इनाम भी रखा गया। वह अपनी लोकेशन लगातार बदलता रहा।  मुन्ना भागकर मुंबई चला गया। उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा। उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से भी रिश्ते मजबूत हो गए। 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार किया था। कुछ लोग बताते हैं कि यह गिरफ्तार खुद मुन्ना ने ही खुद की कराई थी क्योंकि वह खुद के एनकाउंटर से बुरी तरह से डरा हुआ था। उसने एक योजना के बनाकर दिल्ली पुलिस से खुद को गिरफ्तार कराया। मुन्ना की गिरफ्तारी में मुंबई पुलिस भी उसी वक्त शामिल हुई। बाद में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि दिल्ली के पुलिस अधिकारी राजबीर सिंह की हत्या में मुन्ना के हाथ का अंदेशा है। इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया। तब से उसे बार-बार जेल बदलकर रखा जा रहा था।

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