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Good Looking न होने का दंश कुछ यूं झेलना पड़ता था मनोज बाजपेयी को, सुनाई आपबीती

मनोरंजन डेस्‍कः Bollywood Actor मनोज बाजपेयी को भला कौन नहीं जानता। वैसे, इस बात पर तो आपने भी गौर किया होगा कि अक्‍सर मनोज screen पर negative roles में ही नजर आते रहे हैं। कुछ गिने-चुने ही होंगे उनके इंडस्‍ट्री में पॉजिटिव रोल्‍स। वैसे इस बात का इल्‍म खुद उनको भी है। तभी तो पिछले दिनों अपने इसी दर्द को लेकर उन्‍होंने सुनाई आपबीती। आइए, पढ़ें हम भी।

Opened the secret 

पिछले दिनों एक इंटरव्‍यू के दौरान मनोज ने बताया कि गुडलुकिंग न होने के चलते उनको खुबसूरत हीरो के अपोज़िट विलेन का रोल मिलता था। फिल्म इंडस्ट्री के साथ-साथ उस समय की मीडिया भी उन्हें गुडलुकिंग नहीं मानती थी। यही वजह थी कि तीन से चार सालों में उन्हें साइन की हुई लगभग 7 फिल्मों से भी निकाल दिया गया था।

Further told it 

आगे मनोज बताते हैं कि, ‘फिल्म ‘सत्या’ के बाद जिस तरह के रोल मुझे ऑफर होते थे वह उस समय के गुडलुकिंग सुपरस्टार के फिल्मों में विलन के रोल थे। वह इस लाइन में अपना नाम कमाने एक हीरो बनने आए थे। यही वजह थी उन्होंने विलन बन्ने का ऑफर ठुकरा दिया था, जिसके कारण मैंने बहुत पैसा गंवाया और बहुत सी फिल्में भी गंवाई।’

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It will make you think 

इसके आगे उन्‍होंने ये भी बताया कि ‘सत्या के बाद मेरी दूसरी फिल्म थी कौन और तीसरी थी शूल। यह दोनों फिल्में रामगोपाल वर्मा की थीं। इसी बीच मुझे एक फिल्म मिली जुबैदा जिसे तमाम हीरो ने मना कर दिया था। थक हार कर इस फिल्म में मुझे रखा गया। मैं इस फिल्म कि पहली पसंद नही था। आज भी मुझे यह बात सोचने पर मजबूर करती हैं कि मुझे क्यों लिया गया था…!।‘

It shows his pain 

मनोज ने आगे बताया कि, ‘जुबैदा के रिव्यू में लिखा गया कि मनोज बाजपेयी ने अच्छी ऐक्टिंग की, लेकिन वह प्रिंस नहीं लग रहे थे. कहने का मतलब साफ़ था की एक खुबसूरत हीरो ही प्रिंस के रोल में अच्छा दिख सकता है। भले ही उसे हीरो को एक्टिंग आती हो या नहीं.’