Thursday, April 25सही समय पर सच्ची खबर...

घोषणा पत्र के सहारे हर वर्ग की दुखती रग पर कांग्रेस का हाथ, युवा-किसान ही नहीं, आधी आबादी को भी साधा..

कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करते राहुल गांधी, सोनिया गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा पी.चिदंबरम समेत अन्य लोग।

प्रीति सिंह, पॅालीटिकल डेस्कः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज अपना घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणापत्र को जन आवाज नाम दिया गया है और इसकी टैगलाइन ‘हम निभाएंगे’ रखी गई है। राहुल गांधी ने 2019 के लिए पांच योजनाओं की घोषणा की है, जिसे उन्होंने पंजा बताया है। उन्होंने मंच से बीजेपी के खिलाफ हुंकार भरा और जीतने का दावा किया। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कुछ खास वर्ग का खास ध्यान रखा है। दरअसल यह खास वर्ग मोदी सरकार के  कार्यकाल खासा परेशान रहा है। कांग्रेस का घोषणा पत्र मुख्य रूप से गरीब, किसान, युवा, छोटे और मंझोले व्यवसायी और महिलाओं पर फोकस है। गरीबों के लिए साल में 72 हजार, 22 लाख सरकारी नौकरी, 10 लाख युवाओं को रोजगार, महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य है। अब देखना होगा कि राहुल का मेनिफेस्टों जनता को कितना पसंद आता है और वह क्या निर्णय देती है। 

किसानों पर है कांग्रेस की नजर 

कांग्रेस का मेनिफेस्टों पूर्ण रूप से बीजेपी से नाराज वोटरों के लिए है। मोदी के पिछले पांच साल के कार्यकाल में सबसे ज्यादा परेशान कोई रहा है तो वह है गरीब, किसान, युवा और छोटे और मझले व्यवसायी। कांग्रेस ने इन्हीं को साधने की कोशिश की है। हालांकि मोदी सरकार चुनाव से पहले ही किसानों को रिझाने के लिए पहले ही कई घोषणाएं कर चुकी है, लेकिन इतना आसान नहीं है कि वह अपनी तकलीफ इतनी जल्दी भूल जायेंगे। बीजेपी अपने घोषणा पत्र में किसानों के लिए क्या लेकर आयेगी ये तो समय बतायेगा लेकिन मोदी सरकार ने किसानों के कुछ कड़वे अनुभव दिए हैं। दरअसल, किसानों को ना तो अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य मिला और ना ही कोई और सुविधा। वे पिछले पांच सालों में आत्महत्याएं करते रहे और सरकार ने उनकी सुधि तक नहीं ली। उल्टे देश के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने किसानों के घाव पे नमक नहीं, पूरी मिर्ची लगा दी। संसद में कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि किसानों की खुदकुशी का कारण लव अफेयर, दहेज और नपुसंकता है।

किसानों के लिए बड़ा मुद्दा 

यह सोचने वाली बात है कि जिस देश का कृषि मंत्री किसानों से हमदर्दी रखने की बजाए उनके बारे में ऐसी बातें कहे तो वह कहां से किसानों का हमदर्द लगेगा। सबसे बड़ा आश्चर्य तो ये रहा कि पीएम मोदी ने ये सब सुनकर कृषि मंत्री को पद से हटाया भी नहीं। देश की राजधानी दिल्ली में सरकार के आदेश पर जवानों ने किसानों पर लाठियां बरसाईं। ये देश का दुर्भाग्य था। लाचार, निहत्थे किसानों की बात सुनने की बजाय सरकार उन पे डंडे बरसा रही थी। दुखी, कुढ़ा और टूट चुका किसान दिल्ली दरबार से खाली हाथ तो लौट गया। आप क्या उम्मीद करते हैं किसानों के मन में मोदी सरकार के लिए आदर होगा या आक्रोश? 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों को साधने के लिए अपने घोषणा पत्र में बड़ा वादा किया है। किसानों के लिए अलग से बजट होगा। राहुल ने कहा कि देश के किसानों का अपना अलग बजट आएगा, ताकि किसानों को पता चल सके कि उनके लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। इसके अलावा राहुल गांधी ने किसानों के कर्ज न अदा कर पाने की स्थिति में जो क्रिमिनल ऑफेंस माना जाता था, उसे वो खत्म करेंगे। इसकी जगह किसानों के कर्ज अदा न कर पाने के लिए सिविल ऑफेंस माना जाएगा।

 ‘गरीबी पर वार, 72 हजार’

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘न्याय’  योजना के जरिए गरीबों का दिल जीतने की कोशिश की है। घोषणापत्र जारी करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इसमें सिर्फ पांच बातों पर फोकस है, क्योंकि कांग्रेस का लोगो ही पंजा है। सबसे पहले बात न्याय की आय, जिसके जरिए हम सभी के खातों में पैसा डालेंग। ‘गरीबी पर वार, 72 हजार’ ये पैसे हर साल दिए जाएंगे। इससे सीधे तौर पर अर्थव्यवस्था को फायदा मिलेगा। राहुल ने कहा कि हम चाहते थे कि इसमें जनता की आवाज हो इसलिए मैंने कमेटी से कहा था कि आम लोगों से बात करना जरूरी है। मेरा कहना साफ था कि इसमें कोई झूठ नहीं होना चाहिए, क्योंकि हम प्रधानमंत्री की तरह झूठ नहीं बोलते हैं। 

युवाओं के लिए घोषणा पत्र में खास

देश में सबसे ज्यादा वोटर युवा है। लोकसभा चुनाव में ये महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हैं। कांग्रेस ने युवाओं की दुखती रग नौकरी व रोजगार पर फोकस किया है। राहुल ने एक साल के अंदर 22 लाख सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। नौकरी के लिए, व्यवसाय के लिए सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वह है युवा। 2014 में केन्द्र में मोदी के लाने में युवाओं का सबसे बड़ा हाथ था। 2014 में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने युवाओं में बहुत उम्मीद जतायी थी।

ये भी पढ़ेंः कांग्रेस ने दिग्विजय समेत इन 4 दिग्गज पूर्व सीएम को उतारा मैदान में…

उन्होंने बहुत सारे वादे किए थे, लेकिन सरकार बनने के बाद धरातल पर बहुत कम वादे पूरे हुए। मोदी जी ने भ्रष्टाचार हटाने, कला धन लाने और हर साल लाखों रोजगार पैदा करने का वादा किया था, लेकिन सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार हटा नहीं, उलटे राफेल और नीरव मोदी-विजय माल्या कांड ने मोदी सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया।

कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी करते राहुल गांधी, सोनिया गांधी व पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा पी.चिदंबरम समेत अन्य लोग।

देश में इंजीनियरिंग से लेकर पीएचडीधारक युवाओं की लंबी फौज है। इनके पास रोजगार नहीं है। पीएम मोदी से इनको बहुत उम्मीद थी लेकिन मोदी की पकौड़े तलने की सलाह निश्चित ही हताश करने वाली थी। देश के युवा के सामने बहुत चुनौतियां है। इन चुनौतियों को खत्म करना सरकार का काम था लेकिन ये चुनौतियां आज भी मुंह बाये खड़ी है। 

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने युवाओं को साधने के लिए खाली पड़े 22 लाख सरकारी नौकरियों को भरने की बात कही है। उन्होंने कहा, ‘हम मोदीजी की तरह दो करोड़ रोजगार देने की बात नहीं करेंगे। हम अभी जो 22 लाख पद खाली पड़े हैं उन्हें मार्च 2020 तक भरेंगे।  इसके अलावा राहुल गांधी ने 10 लाख युवाओं को ग्राम पंचायतों में रोजगार देने की बात कही है। राहुल ने कहा कि हिंदुस्तान के युवाओं को 3 साल के लिए व्यापार खोलने के लिए किसी परमिशन की जरूरत नहीं होगी। 

छोटे और मंझोले व्यवसायी को साधने की कोशिश 

8 नवंबर 2016, ये तारीख सभी के जेहन में मौजूद है। किस तरह नोटबंदी ने छोटे और मंझोले व्यापारियों की कमर तोड़ दिया। रही सही कसर जीएसटी ने पूरा कर दिया। राहुल ने इस पर फोकस किया है। मोदी सरकार ने आरबीआई के ऐतराज के बावजूद नोटबन्दी करके इस देश की जीडीपी को 2 फीसदी से ज्यादा नीचे गिरा दिया। इसका मतलब ये हुआ कि करोड़ों की तादाद में असंगठित क्षेत्र के मजदूर ना सिर्फ बेरोजगार हुए, बल्कि काम ना होने की वजह से अपने गांव लौट गए। रोजी-रोटी का संकट उनके सामने खड़ा हो गया। उधर छोटे और मंझोले व्यापारियों का धंधा चौपट हो गया। ऊपर से गलत तरीके से लाई गई जीएसटी ने कोढ़ में खाज का काम किया। व्यापारियों की नाराजगी का ही नतीजा था कि मोदी सरकार को जीएसटी के फार्मेंट में कई बार संसोधन करना पड़ा। व्यापारियों की शिकायत राज्य सरकारों से नहीं बल्कि मोदी सरकार से है। 

ये भी पढ़ेंः फेसबुक का कांग्रेस को झटका, पार्टी से जुड़े 687 पेज प्लेटफार्म सेे हटाए..

कांग्रेस के घोषणा पत्र में व्यवसायियों के लिए खास ध्यान रखा है। कांग्रेस एक टैक्स दर, निर्यात की शून्य रेटिंग और आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं को छूट के साथ जीएसटी को सही मायनों में सरल और आसान बनाने की बात कही है। इतना ही नहीं पंचायतों और नगरपालिकाओं को भी जीएसटी राजस्व का एक हिस्सा देने का वादा किया गया है। इसके अलावा रोजगार खोलने के लिए किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। शुरुआत के तीन साल तक किसी के मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी।  

सभी के लिये स्वास्थ्य सुविधाएं 

स्वास्थ्य, शिक्षा सबकी जरूरत है। इस पर कांग्रेस ने फोकस किया है। कांग्रेस सभी के लिये स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू करने का वादा करती है और सरकारी अस्पतालों तथा सूचीबद्ध निजी अस्पतालों के नेटवर्क के जरिये हर नागरिक को मुफ्त जांच, बहिरंग इलाज सुविधाएं, मुफ्त दवाईयां और अस्पताल में भर्ती की गारंटी मिलेगी। हम वर्ष 2023-24 तक स्वास्थ्य सेवा पर खर्च को दोगुना करके जीडीपी का 3 प्रतिशत तक बढ़ायेंगे। 

महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान

कांग्रेस के घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए भी बहुत कुछ है। लंबे समय से 33 फीसदी आरक्षण की मांग चल रही है। घोषणा पत्र में लिखा है कि लोकसभा और राज्यसभा के पहले सत्र में संविधान संशोधन विधेयक पास करवाकर कांग्रेस लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करेगी। साथ ही केंद्रीय नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान करेंगे। महिलाओं के लिए महिला सामान पारिश्रमिक अधिनियम लागू किया जाएगा। प्रत्येक पंचायत में महिला अधिकारों को बताने के लिए एक अधिकार मैत्री की भी नियुक्ति की जायेगी।