समरनीति न्यूज, बांदा : जिले के आरटीओ विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का असर अब जिले के कलेक्टर यानि जिलाधिकारी की चौखट पर भी दिखाई देने लगा है। जी हां, जिलाधिकारी बांदा के सरकारी आवास से चंद कदमों की दूरी पर प्राइवेट बसों का अवैध अड्डा बन गया है।
बिना परमिट चलती हैं चित्रकूट-मध्यप्रदेश के लिए बसें
वह भी बीच सड़क पर। खबरों के बाद कार्रवाई के नाम पर कुछ बसों का चालान करके औपचारिकता की जाती है, लेकिन फिर वही स्थिति हो जाती है।
वीवीआईपी कही जाने वाली डीएम कालोनी वाली सड़क पर चित्रकूट, कटनी और मध्यप्रदेश को चलने वाली प्राइवेट बसें बिना रोक-टोक के खड़ी होती हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन बसों का कोई परमिट नहीं है। सबकुछ खुलेआम बे-नियम हो रहा है। वह भी सीना ठोककर।
अंदाजा लगाया जा सकता है कि आरटीओ विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत किस स्तर की है कि बस वाले, डीएम के बंगले के पास सड़क पर लाकर बसों को खड़ा करते हैं। वह भी बिना किसी रोक-टोक के।
इस बीच यहां से सदर एसडीएम, सिटी मजिस्ट्रेट, एडीएम और पुलिस अधिकारियों की भी गाड़ियां इसी सड़क से होकर गुजरती हैं।
कोई न रोकता है और न टोकता है। ऐसे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं, कि जिम्मेदार कितनी जिम्मेदारी से अपना कर्तव्य का निर्वहन कर रहे हैं। मामला सुर्खियां पकड़ा है तो कार्रवाई के नाम पर कुछ बसों का चालान करके कर्तव्यों से इतिश्री कर ली जाती है। मामले में आरटीओ विभाग के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
ये भी पढ़ें : बांदा के नए डीएम आनंद कुमार सिंह ने चार्ज संभाला