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एक ‘इंकार’ ने ऐसे बदले जज्बात कि आज दूसरों का दुख-दर्द मिटाना ही जिंदगी

समरनीति न्यूज, लखनऊः अपनी उम्र के उस दौर का वो किस्‍सा ये कभी नहीं भूल पाएंगी जिसने इनके जीवन को एक मकसद दे दिया। उस वक्‍त इनकी उम्र 15 साल थी। सड़क पर गुजरते वक्‍त इनकी नजर एक बुजुर्ग महिला पर पड़ी जो सड़क से गोबर उठाकर टोकरी में रख रही थीं। उस बुजुर्ग महिला ने उस टोकरी को उठाने में इनसे मदद मांगी, पर इन्‍होंने उसको साफ़ मना कर दिया। बुजुर्ग महिला के चेहरे पर बेचारगी के भाव देखे और आगे बढ़ गई, लेकिन उस वक्‍त का इनका इंकार रात-दिन आत्मग्लानि बनकर इनको झंकझोरता रहा।

ऐसे करती हैं दूसरों की मदद 

इस घटना ने इनकी सोच और जज्बात को इस कदर बदल दिया कि उन्होंने ठान लिया कि जीवन में किसी की भी मदद करने में खुद छोटा महसूसी नहीं करेंगी। बल्कि, बिना कहे दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़ेंगी। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की सोशल वर्कर शिल्‍पी पाहवा की। लोगों की मदद करने के माद्दे से ही आज शिल्‍पी पाहवा एक एनजीओ चलाती हैं। ‘अंदाज-ए-लखनऊ’ नाम की इनकी एनजीओ आज जरूरतमंद लोगों की मदद करने में सबसे आगे रहती है।

स्पेशल बच्चों का शो बना यादगार   

अभी तक लोगों की सेवा और उनकी मदद करने के नाम पर शिल्‍पी अपने शहर में ढेरों ऐसे काम कर चुकी हैं जो वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है। इनमें से एक था स्‍पेशल बच्‍चों के लिए स्‍पेशल शो आयोजित करना। शिल्‍पी बताती हैं कि अब तक उन्‍होंने सोशल वर्क के नाम पर कई कार्यक्रमों का आयोजन कराया। लेकिन उनमें से जिस एक शो ने उनके दिल को छुआ, वो था स्‍पेशल बच्‍चों का शो।

लगातार जारी हैं मदद की कोशिशें 

उसमें असहाय बच्‍चों की प्रतिभा, उनका शरीर म्‍यूजिक की धुन पर ऐसा थिरका कि देखने वाले हैरत में पड़ गए। इसके अलावा अब तक उन्‍होंने गरीब बच्‍चों के बीच किताबें और कॉपियां बांटकर उन्‍हें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। बुजुर्ग महिलाओं की मदद की। वहीं अब शिल्‍पी चाहती हैं कि एसिड एटैक और रेप विक्‍टिम जैसी महिलाओं की मदद करें। उनके जीवन की नकारात्‍मकता को दूर कर उन्‍हें एक नई राह दे सकें। इस क्रम में वह अभी भी प्रयत्‍नशील हैं।

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