समरनीति न्यूज, लखनऊः पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के बेहद संवेदनशील कस्बा नगीना में होली जुलूस के बाद नौ दिन चले तनाव और बवाल को अपनी सूझबूझ से शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने वाले अपर पुलिस अधीक्षक विश्वजीत श्रीवास्तव को डीजीपी ओपी सिंह ने अवार्ड दिया है। उनको इस कार्य के लिए प्रशंसा पत्र के साथ ही मेडल भी मिला है।
बेहद संवेदनशील नगीना कस्बे में होली जुलूस के बवाल को सूझ-बूझ से सुलझाया, डीजीपी ने माना बुद्धिमता का लोहा
सुलझे व्यवहार और मृदुभाषी, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी अपर पुलिस अधीक्षक विश्वजीत श्रीवास्तव को यह अवार्ड 15 अगस्त के मौके पर दिया गया। खुद बिजनौर के पुलिस अधीक्षक उमेश सिंह ने एएसपी को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यह अवार्ड देते हुए उनके कार्य की प्रशंसा की।
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हांलाकि यह अवार्ड डीजीपी ओपी सिंह द्वारा खुद लखनऊ में दिया जाना था लेकिन बीती रात पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा में संवेदनशीलता के मद्देनजर अधिकारियों को जिला न छोड़ने के आदेश थे। इस वजह से डीजीपी का यह सम्मान एएसपी को एसपी बिजनौर के हाथों दिया गया।
क्या था नगीना में होली जुलूस का बवाल
बीती 2 मार्च को होली थी। इस दिन बिजनौर के नगीना कस्बे में होली का जुलूस उठता है। हर साल की तरह जुलूस उठ रहा था इसी दौरान कस्बे के चौधरान मुहल्ला के शिव मंदिर के पास दूसरे वर्ग के लोगों से कुछ विवाद हो गया।
देखते ही देखते बात बढ़ गई थी। पुलिस ने अनूप बाल्मिकी आदि लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। इससे जुलूस निकालने वाले लोगों का हुजूम में आक्रोश बढ़ गया।
बाद में यह मामला पुलिस और जुलूस संचालकों के बीच तनाव का हो गया था। हालात इतने बिगड़ गए थे कि पुलिस को जमकर लाठियां चलानी पड़ी थीं। इसके बाद नौ दिन तक जुलूस को वहीं रोक दिया गया था।
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व्यापार मंडल भी पुलिस के विरोध में उतर आया और बाजार पूरी तरह से बंद कर दिया गया। करीब नौ दिन तक मामले को लेकर नगीना बुरी तरह से तनाव और आक्रोश में रहा। उधर, पुलिस अधिकारी भी मामले में काफी फूंक-फूंककर कदम रख रहे थे। सरकार भी मामले में मानीटरिंग कर रही थी।
9 दिन बाद सुलटा था मामला
नौ दिन तक बिजनौर के एएसपी विश्वजीत श्रीवास्तव नगीना में कैंप करके वहीं रुके। वे लगातार जुलूस संचालकों से बातचीत करते रहे और आखिरकार तनाव को खत्म करने में कामयाब हुए।
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नौ दिन बाद शांतिपूर्ण ढंग से जुलूस निकला और किसी तरह का कोई विवाद नहीं हुआ। इसे एएसपी की सूझबूझ का ही परिणाम माना गया। हालात पूरी तरह से सामान्य हो गए थे। लोगों ने होली भी मनाई थी।