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तो क्या वाकई इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाएगी कानपुर की शान, लालइमली और धारीवाल!

समरनीति न्‍यूज़, कानपुरः लाल इमली, धारीवाल…एक समय में ये शहर की शान हुआ करते थे। वहीं अब पिछले कई सालों से इनपर बंदी की तलवार लटकी हुई है। जी हां, सही सुन रहे हैं आप। शहर की इन दोनों बड़ी मिलों को पूरी तरह से बंद करने की कवायद जोरों पर चल रही है। उधर, खबर कुछ ऐसी मिली है कि अब इन दोनों को ज़ीरो डेट में डाल दिया गया है।

गौर करिएगा यहां 

यहां सबसे पहले आपको बता दें कि जीरो डेट का मतलब होता है कि अब इन दोनों मिलों को कभी भी बंद किया जा सकता है। केंद्र सरकार के पब्‍लिक इंटरप्राइजेज मंत्रालय की गाइड लाइंस को कपड़ा मंत्रालय ने जारी कर दिया है। जीरो डेट में लालइमली और धारीवाल के कर्मचारियों और श्रमिकों को वही वीआरएस दिया जाएगा, जोकि मंत्रालय की ओर से तय किया जाएगा। इसके साथ ही श्रमिकों के किसी तरह के भी दावों खारिज कर दिया जाएगा।

लाल इमली, कानपुर

प्रबंधन को देना होगा प्रस्‍ताव 

जीरो डेट तय होने के बाद 15 दिन में सभी को वीआरएस का प्रस्‍ताव प्रबंधन को देना होगा। केंद्र सरकार ने बीते जून में ही लालइमली और धारीवाल को बंद करने की नीति आयोग की सिफारिश पर मुहर लगा दी थी। मिलों की बुरी हालत के लिए खराब प्रबंधन, उत्‍पादन न होना और मार्केटिंग रणनीति का अभाव बताया जा रहा है। कैबिनेट की मुहर लगने के बाद इंटरप्राइजेज विभाग ने एक्‍ट का इस्‍तेमाल करते हुए इन मिलों को जीरो डेट में शामिल कर दिया है।

मंत्रालय से किया जाएगा हिसाब 

अचानक बंद कर स्‍टाफ का भुगतान मंत्रालय के हिसाब से किया जाएगा। श्रम विभाग भी बंदी को गैर कानूनी घोषित नहीं कर पाएगा। अभी एल्‍गिन मिल के सौ से ज्‍यादा श्रमिकों को अंतिम भुगतान का मामला फंसा हुआ है। मंत्रालय ने दोनों मिलों की संपत्‍तियों के निस्‍तारण के लिए राष्‍ट्रीय भवन निर्माण निगम और इंजीनियर्स प्रोजेक्‍टस इंडिया लिमिटेड को जिम्‍मेदारी सौंपी है। यही कंपनियां सर्वे कर जमीनों पर क्‍या बने, इसका फैसला करेंगी।