समरनीति न्यूज, कानपुरः शहर के पनकी स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के बड़े महंत ने आज शनिवार सुबह देह त्याग दी है। बड़े महंत के ब्रह्मलीन होने की खबर से भक्तों में शोक की लहर दौड़ गई। उनके समर्थकों, भक्तों और अधिकारियों ने उनके अंतिम दर्शन किए। साथ ही सेवादारों ने बिठूर में गंगा किनारे विधि-विधान से बड़े महंत के शव की अंतिम क्रिया करने की तैयारी शुरू कर दी है। लोग उनके अंतिम दर्शन करने पहुंच रहे हैं।
1956 में संभाली थी महंत की गद्दी
बताते है कि बड़े महंत का जन्म कानपुर देहात के शिवली के अनूपपुर गांव में 1912 में हुआ था। उनके पिता का नाम रामलाल शुक्ला था। उनके तीन भाई और थे। वह चार भाइयों में तीसरे नंबर पर थे। बताया जाता है कि वर्ष 1927 में वह पनकी मंदिर के तत्कालीन महंत गंगा दास जी की शरण में आ गए थे। इसके बाद उन्होंने 1956 में मुख्य महंत की गद्दी संभाल ली थी। बताते हैं कि आज सुबह 88 साल की उम्र में महंत रमाकांत ने देह त्यागी। सेवादारों ने बताया है कि वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनकी अंतिम क्रिया शुरू हो चुकी है। बड़ी संख्या में भक्त उनके अंतिम दर्शन को पहुंच रहे हैं।
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