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देर-सवेर बड़ा गुल खिलाएगी लालू यादव के तेज की “तेजी”

लालू यादव के पुत्र तेज प्रताप (दाएं) तेजस्वी यादव(बाएं।)। (फाइल फोटो)

बिहार से दिल्ली और यूपी तक राजनीतिक गलियारों में खूब चल रहा तेज का वीडियो  

समरनीति न्यूज, नई दिल्लीः ़लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप का वीडियो और ट्विट इस वक्त बिहार से लेकर दिल्ली तक राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बने हैं। तेज प्रताप के इस कदम को सभी अलग-अलग नजरिये से देख रहे हैं। लालू यादव इस वक्त जेल में हैं और अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन के बेहद मुश्किलों भरे दौर से गुजर रहे हैं। पार्टी की बागडोर उनके बेटों के हाथ में हैं। या यूं कहिए! लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ही पार्टी का पूरा कामकाज संभाल रहे हैं। आरजेडी के ज्यादातर बड़े और प्रभावशाली नेता भी लालू के बाद तेजस्वी में राष्ट्रीय जनता दल का भविष्य देख रहे हैं और तेजस्वी पर भरोसा भी कर रहे हैं। खुद लालू ने भी अपनी राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी तेजस्वी को ही बनाया है। भले ही इसकी कोई घोषणा न की हो।

लालू यादव, उनके पुत्र तेजस्वी व तेज प्रताप। (फाइल फोटो)

लालू भी छोटे बेटे को मान चुके हैं राजनीतिक विरासत का उत्तराधिकारी 

तेजस्वी की वाकपटुता और राजनीतिक क्षमता के कारण ही वह लालू की पसंद बने हैं। अबतक सबुकछ ठीक ही चल रहा था लेकिन दो दिन पहले लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप ने एक वीडियो और ट्वीट जारी करके लालू परिवार और आरजेडी में तूफान सा ला दिया। ऊपर से भले ही कोई कुछ न बोल रहा हो। लेकिन तेज की इस तेजी ने आरजेडी के राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। दरअसल, लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप के दिमाग में कहीं न कहीं यह बात घर कर गई है कि पार्टी में उनकी हैसियत वो नहीं है जिसके वह हकदार हैं। वरना बिहार के पूर्व स्वास्थ मंत्री रहे तेज प्रताप को वीडियो जारी करके यह कहने की जरूरत नहीं पड़ती कि उनकी पार्टी का कोई नेता उनकी बात नहीं सुन रहा है। लंबे समय तक काफी कुछ सुनने और समझने के बाद ही तेज प्रताप ने वीडियो और ट्वीट का सहारा लेकर, अपनी भड़ास निकाली होगी।

जारी वीडियों में तेज प्रताप की बात यहीं नहीं खत्म हुई बल्कि उन्होंने एक लाइन और जोड़ी है। उन्होंने कहा है कि जब उन्होंने अपनी पत्नी को यह बात बताई कि पार्टी में उनकी सुनी नहीं जा रही है तो वह सदमें में आ गईं। यानी तेज प्रताप की नई नवेली दुल्हन भी पति की दिक्कत में शामिल हो चुकी हैं। बात जब पत्नी तक पहुंच गई है तो स्वभाविक है कि परिवार की महिला मुखिया राबड़ी देवी तक जरूर होगी।

तेजस्वी यादव व तेज प्रताप। (फाइल फोटो)

छोटे को उत्तराधिकारी बनते देख बड़ा नजर आ रहा असहज  

कह सकते हैं कि लालू के परिवार में सबकुछ ठीक नहीं है और यह घटनाक्रम एक-दो दिन या एक-दो महीनों का परिणाम नहीं है बल्कि लंबे समय से कहीं न कहीं दोनों भाइयों के बीच पार्टी को लेकर कुछ गड़बड़ चल रहा था। यह बात अलग है कि इसे दोनों ने जाहिर नहीं होने दिया। लेकिन लालू के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव ने जिस तेजी से पार्टी की कमान पूरी तरह से अपने हाथ में ली है उसने जरूर बड़े भाई को असहज कर दिया है और शायद तेज प्रताप खुद को काबू में नहीं रख पाए। बात छोटी सी होती तो लालू और राबड़ी अपने बेटे को समझा लेते। क्योंकि माता-पिता दोनों ही राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और कई उतार-चढ़ाव देख चुके हैं।

मुलायम-अखिलेश के बीच विवाद में संकटमोचन बने थे लालू   

आप सभी को याद होगा कि जिस वक्त उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी दल, समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव में विवाद उफान पर था। उस समय बिहार से लालू ने फोन करके दोनों पिता-पुत्र को एक करने का प्रयास किया था। उनके प्रयास सफल भी हुए थे। दो राय नहीं है कि उस वक्त लालू ने हालात को काफी हद तक संभाला था। लालू यादव की अहमियत मुलायम सिंह और उनके बेटे अखिलेश दोनों बखूबी जानते हैं। अब लालू को वही कोशिश अपने खुद के कुनबे को बचाने को भी करनी हुई। अगर यह छोटी दरार बड़ी हुई तो खाई बनते देर नहीं लगेगी। लालू यादव इस बात को बखूबी जानते और समझते होंगे। लालू के इस तेज की तेजी आने वाले दिनों में कोई बड़ा गुल खिला सकती है। सूत्र बताते हैं कि दोनों भाइयों में आरजेडी के नए प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर ठनी हुई है।

पार्टी के कई नेता दोनों भाइयों की पसंद -नापसंद के पैमाने पर  

तेज ने इशारों जिन बाहरी लोगों के पार्टी में आकर दोनों भाइयों के बीच लड़ाई करवाने के प्रयास की बात कही है, इससे साफ है कि कुछ लोग हैं जिनको तेज पसंद नहीं करते हैं और कुछ उनकी पसंद के भी हैं। इनमें से एक का उन्होंने नाम भी लिया है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी नेता भी दो भाइयों की पसंद और नापंसद के पैमाने पर पहुंच चुके हैं।

बहरहाल, अगर लालू यादव ने समय रहते हालात को नहीं संभाला तो आगे चलकर देर-सवेर यही खींचतान पार्टी में विभाजन का कारण भी बन सकती है। वर्तमान हालात में आरजेडी में तेज प्रताप की कोई महत्वपूर्ण भूमिका दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। इन हालातों में असहज क्या गुल खिला देंगे, कहा नहीं जा सकता है।

तेज प्रताप के ट्विट ने विपक्ष को एक बड़ा हथियार दे दिया है। कहीं न कहीं विपक्ष अपनी संभावनाएं तलाशने में जुट गया है क्यों कि 2019 के लोकसभा चुनाव में लालू की पार्टी और गठबंधन की धार को कम करना भाजपा के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में तेज की तेजी विपक्ष के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।