समरनीति न्यूज, ब्यूरो : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मुलायम समर्थक सिरसागंज विधायक को पार्टी से निकालने के बाद सपा में सियासत तेज हो गई है। आने वाले दिनों में इसका असर देखने को मिल सकता है। दरअसल, सोमवार को समाजवादी पार्टी ने फिरोजाबाद जिले में सपा के संस्थापक और मौजूदा सिरसागंज विधायक हरिओम यादव को पार्टी से निकाल दिया था। उनको छह साल के लिए पार्टी से निकाला गया। बता दें कि सिरसागंज के विधायक हरिओम, सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समधी भी हैं।
प्रसपा के लिए काम और पार्टी विरोध के आरोप
बताया जा रहा है कि विधायक हरिओम बीते काफी समय से पार्टी से हटकर अपने एजेंडे पर काम कर रहे थे। इतना ही नहीं उनके ऊपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में भी शामिल होने के आरोप लगे हैं।
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इसी सबके बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देशों पर उनको बाहर का रास्ता दिखाया गया है। वहीं हरिओम सपा के कद्दावर नेताओं में शामिल रहे हैं और 2017 में भाजपा की लहर के बीच उन्होंने जिले में सिरसागंज सीट पर जीत दर्ज कराई थी। जिले की बाकी सभी चारों सीटें भाजपा ने जीत ली थीं। कहा जाता है कि पार्टी में भीतरी मनमुटाव और खुद की उपेक्षा के चलते उनका मिजाज बदल गया था। इतना ही नहीं शिपपाल यादव के अलग पार्टी बनाने के वक्त भी हरिओम खुलकर उनके साथ खड़े हो गए थे। इतना ही नहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में भी सिरसागंज विधायक पर प्रसपा यानी शिवपाल यादव की पार्टी के लिए काम करने का आरोप लगा था। बाद में भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज कराई थी। अब हरिओम यादव को पार्टी से निकाले जाने के बाद निश्चित ही मुलायम परिवार में दूरियां बढ़ेंगी। इसका असर भी देखने को मिलेगा।
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