समरनीति न्यूज, बांदा : इसे संवेदनहीनता ही कहा जाएगा कि जिस बांदा में पारा 47 डिग्री को पार कर चुका है, वहां नौनिहाल स्कूलों से तपती-चुभती गर्मी के बीच घर लौटने को मजबूर हैं। सरकारी स्कूलों में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मानवीय आधार पर अबतक बंद नहीं किया है। बच्चों के लिए भी स्कूल खुले हैं। ऐसे में प्राइवेट स्कूलों का मनमानी करना तो फिर लाजमी हो जाता है। बांदा का तापमान बीते दिनों 47 डिग्री तक पहुंच चुका है। इस खबर ने देशभर में सुर्खियां हासिल की। अब फिर बांदा में आसमान से आग बरस रही है। लेकिन प्रशासन या शिक्षा विभाग को इसकी कोई परवाह नहीं है।
सरकारी स्कूल खुले तो प्राइवेट भी मनमानी पर उतारू
इसके बावजूद अधिकारियों को स्कूली बच्चों की फिक्र नहीं है। सभी जानते हैं कि बुंदेलखंड में बाकी जगहों की अपेक्षा ज्यादा गर्मी पड़ती है।प्रशासन की इस अनदेखी का पूरा फायदा प्राइवेट स्कूल उठा रहे हैं। प्राइवेट स्कूलों में बसों की फीस और बाकी शुल्क वसूली के लिए संचालक धड़ल्ले से स्कूल खोल रहे हैं। वहीं बेसिक शिक्षा विभाग भी इस दिशा में आंखें मूंदे बैठा है।
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हाल यह है कि बच्चों की किसी को फिक्र नहीं है। वहीं अभिभावकों के सामने बच्चों की पढ़ाई को लेकर इतना दबाव है कि मजबूरन बच्चों को स्कूल भेजने के लिए मजबूर हैं। वहीं प्रशासन की ओर से भी इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।
बेसिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष ने कही यह बातें
उधर, बेसिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी का कहना है कि विभाग की ओर से 19 मई तक स्कूल खुलेँगे। इसके बाद बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि बांदा में तापमान 48 डिग्री तक पहुंचा रहा तो स्कूलों को बंद कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कम से कम बच्चों के लिए छुट्टी कर देनी चाहिए। क्योंकि गांव-देहात में बच्चे दूर-दूर से पैदल या साइकिल से स्कूल आते हैं। ऐसे में तपती धूप में बच्चों का स्कूल पहुंचना काफी कष्टकारी होता है।
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