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बुंदेलखंड की परिस्थितियां जैविक खेती के लिए पूरी तरह अनुकूल- राजाबाबू सिंह

कार्यक्रम में बोलते मुख्य अतिथि राजा बाबू सिंह।

समरनीति न्यूज, बांदाः कृषि एवं प्रद्यौगिकी विश्वविद्यालय द्वारा बुंदेलखंड परिक्षेत्र के सभी सात जिलों बांदा, महोबा, हमीरपुर, चित्रकूट, जालौन, झांसी व ललितपुर में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए बुंदेलखंड जैविक कारीडोर की योजना तैयार की गई है। मंगलवार को ग्राम पचनेही में कृषि विज्ञान केंद्र के तत्वाधान में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ग्राम पचेनही के निवासी एवं ग्वालियर (मप्र) के आईजी राजाबाबू सिंह रहे। श्री सिंह ने उपस्थित कृषकों एवं वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा है कि बुंदेलखंड की परिस्थितियां व उपलब्ध संसाधन जैविक खेती के अनुकूल हैं।

कृषि विश्वविद्यालय में जागरूकता अभियान कार्यक्रम   

आईजी राजाबाबू सिंह ने कहा कि बुंदेलखंड की बहुत सी समस्याएं हैं, जिनमें अन्ना प्रथा एक प्रमुख समस्या है। यह समस्या नहीं बल्कि जैविक खेती की तरफ बढ़ने का एक अवसर है। आवश्यकता है इस दिशा में ध्यान देने और लगन से सामूहिक प्रयास करने की। अन्ना प्रथा उन्मूलन हेतु गांव के हर घर से एक समूहिक प्रयास होना चाहिए। बुंदेलखंड में बहुत सी समस्याएं परिस्थितिजन्य हैं जिसका समाधान हम सबको ही करना होगा।

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कार्यक्रम से पूर्व श्री सिंह विश्वविद्यालय परिसर में बुंदेलखंड हेतु किए जा रहे कार्य एवं भविष्य की योजनाओं के बारें में जानने हेतु सभी अधिकारियों एवं प्राध्यापकों से संवाद स्थापित किया। उन्होंने वैज्ञानिकों से यह आग्रह भी किया है कि खेती को फायदे का सौदा बनाएं। बुंदेलखंड की पारंपरिक एवं देशी खाद्यान को संरक्षित करें और उसे व्यवसायिक रूप देने के लिए युवाओं को अवसर प्रदान और प्रोत्साहित करें।

बुंदेलखंड के विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका  

विश्वविद्यालय के कुलपति डा यूएस गौतम ने कहा कि बुंदेलखंड के विकास में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कृषि विश्वविद्यालय महिला सशक्तिकरण हेतु विभिन्न कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण आयोजित करता है। इसे भविष्य में और व्यापक रूप दिया जाएगा। डा गौतम ने कहा कि बुंदेलखंड में कृषि को व्यवसायिक रूप देने के लिये उद्यामिता विकास की आवश्यकता है, इस हेतु विश्वविद्यालय विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम अपने उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ के माध्यम से कार्य करता रहेगा।

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उन्होंने कहा कि हम अपने सभी प्राध्यापकों एवं वैज्ञानिको की मदद से कृषकों के आर्थिक एवं सामाजिक सुधार के लिये विभिन्न योजानायों पर कार्य करते रहना होगा। साथ ही कृषि विश्वविद्यालय को गेटवे आफ बुंदेलखंड बनाने की दिशा में बड़े प्रयास करने होंगे। कार्यक्रम में हमीरपुर के प्रगतिशील जैविक कृषक डा देव ने जैविक उत्पाद एवं उनकी सम्भावनाओं तथा जैविक उत्पाद के बाजार के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

विशेषज्ञों ने खेती के बारे में दी विस्तार से जानकारी  

कार्यक्रम में सह निदेशक प्रसार डा. नरेन्द्र सिंह ने जैविक कारीडोर की परिकल्पना की रूप रेखा एवं कार्ययोजना के बारे में विस्तार से बताया। कानपुर के सहायक प्राध्यापक डा जीतेंद्र सिंह ने बुंदेलखंड के लिए उपयोगी एकीकृत फसल प्रणाली के बारे में जानकारी दी। विश्वविद्यालय के फल विज्ञान के विभागाध्यक्ष डा एके श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड में जैविक विधि से फलो के उत्पादन व उसके बाजार मूल्य के बारे में विस्तार से बताया। इस मौके पर डा आरके सिंह, डा जगन्नाथ पाठक, डा धर्मेंद्र कुमार, डा भलेन्द्र सिंह राजपत, डा निखिल सिहं, डा मयंक दूबे, डा श्याम सिंह मौजूद रहे।

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