मनोज सिंह शुमाली, बांदा : बांदा जेल इन दिनों काफी सुर्खियों में है। इसकी वजह है जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी। हालांकि, इससे पहले भी बांदा मंडल कारागार कई नामी खूंखार डकैतों और दस्यु सरगनाओं के कारावास का गवाह रहा है। अब इसी बांदा जेल से दिल को सकून देने वाली एक खबर सामने आ रही है। जेल अधिकारी नेकी की एक ऐसी अलख जगा रहे हैं जो खुद में बड़ी मिसाल है। कोशिश छोटी जरूर हो सकती है, लेकिन संदेश बहुत बड़ा है। खासकर पूरे बुंदेलखंड के लिए, जहां अन्ना जानवरों समस्या के रूप में देखे जाते हैं। लोग उनके पालन-पोषण से हाथ खींच लेते हैं। ऐसे में जेल अधिकारियों का यह काम उन लोगों के लिए सीख है। यही वजह है कि इसकी चर्चा हो रही है।
अन्ना जानवरों को नया जीवन दे रही बांदा जेल
जी हां, जेल में अन्ना जानवरों को एक नया जीवन दिया जा रहा है। दरअसल, प्रभारी जेल अधीक्षक वीरेंद्र कुमार वर्मा की देख-रेख में बांदा जेल में एक गौशाला की व्यवस्था सराहनीय ढंग से संचालित है। इस छोटी सी गौशाला में कुल 16 गौवंश हैं, जो कुछ महीने पहले तक सड़कों पर मारे-मारे घूम रहे थे, लेकिन इनको देख लिया जाए तो कोई यकीन नहीं करेगा। पूर्ण स्वस्थ हैं और भरपूर चारा खा रहे हैं। इनमें 11 गाय और उनके 5 बच्चे यानी बछिया और बछड़े हैं।
बिना सरकारी बजट खुद के प्रयासों से पहल
साथ ही एक नंदी यानी बैल भी है। इन 16 गौवंशों को जेल की चार दीवारी में नया जीवन मिल रहा है। अधिकारी इस गौशाला के काम को ‘काम’ नहीं मानते, बल्कि आत्मीय रूप से जुड़कर सेवा करते हैं। खुद प्रभारी जेल अधीक्षक श्री वर्मा का कहना है कि अगर दिन में दो बार वह खुद इन गोवंशों को देख न लें, उनको चेन नहीं पड़ता। हाथों से रोटी न खिला लें तो उन्हें कुछ अधूरापन सा महसूस होता है।
ये भी पढ़ें : बिजनौर जेल भ्रमण पर पहुंचीं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, महामृत्युंजय मंत्रों के वाचन व पुष्पवर्षा के साथ भव्य स्वागत
शायद यही इंसानियत की पहचान भी है। चौंकाने वाली बात यह है कि गौशाला को चलाने के लिए जेल से कोई बजट नहीं मिलता है, बल्कि अधिकारी अपने खुद के प्रयासों से इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं। प्रभारी जेल अधीक्षक श्री वर्मा का कहना है कि गायों के दूध से थोड़ा सा जो पैसा आता है, वह भी उन्हीं पर खर्च कर दिया जाता है।
बंदियों की मनोदशा सुधार में बड़ा कदम
एक गाय ने करीब 1 महीने पहले बछिया को जन्म दिया है। मगर गाय माता दूध नहीं दे रहीं, तो बछिया के लिए अलग से दूध की व्यवस्था की जा रही है। कहीं न कहीं गौसेवा की यह पहल बंदियों की मनोदशा को सुधारने और उनमें सकारात्मक गुण पैदा करने की भी पहल है। बंदियों को गोशाला ले जाकर उन्हें भी सेवा का मौका दिया जाता है। प्रभारी जेल अधीक्षक श्री वर्मा कहते हैं कि उनकी तो यही कोशिश है कि आने वाले दिनों में कुछ और अन्ना गोवंशों के लिए बांदा जेल सहारा बने।
ये भी पढ़ें : CM Yogi के आदेश पर 10 जेलकर्मी बर्खास्त, वेतन भत्तों की होगी वसूली, फर्जी सर्टिफिकेट पर हुए थे भर्ती