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तो क्या राजनीति का केन्द्र बन रहा है कोलकाता..

विपक्षी नेताओं को खाना परोसतीं बंगाल की सीएम ममता बनर्जी। (फाइल फोटो)

प्रीति सिंह,  पोलिटिकल डेस्कः कोलकाता की सरगर्मी पूरे देश में महसूस की जा रही है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के धरने पर बैठने के बाद से सियासी गर्मी तेज हो गई है जिस तरह लोगों का हुजूम सड़कों पर दिखा उससे कोलकाता राजनीति का केन्द्र बनता दिख रहा है। ममता बनर्जी ने जिस तरह मोदी और शाह के खिलाफ सड़क से हुंकार भरी है उससे जनता के साथ-साथ विपक्षी दल भी उनके साथ आ खड़े हुए हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए पश्चिम बंगाल की 42 सीटों पर फतह का सपना आसान नहीं होगा, जबकि लोकसभा चुनाव का कभी भी ऐलान हो सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता में राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेजी से बदल रहा है जिस तरह पश्चिम बंगाल में बीजेपी तेजी से बड़ी ताकत बनकर उभर रही है, उससे ममता के साथ-साथ अन्य पार्टियों के लिए चिंता का विषय होना लाजिमी है।

बीजेपी भी देख रही पश्चिम बंगाल में बड़ी संभावनाएं 

पश्चिम बंगाल में बीजेपी बड़ी संभावनाएं देख रही है। बीजेपी को लगता है कि यहां की 42 सीटों से वह बाकी राज्यों में होने वाले नुकसान भरपाई कर सकती है। यही वजह है कि पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं, जिससे ममता बनर्जी से सीधे टकराव हो रहा है।

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हालांकि जिस तरह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यूपीए को मजबूत कर खुद को पीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे हैं उस तरह ममता बनर्जी खुद को खुले तौर पर प्रमोट तो नहीं कर रही हैं लेकिन खुद को नेता के तौर पर स्थापित करने से नहीं चूक रही हैं। मालूम हो कि कुछ दिन पहले ही ममता बनर्जी की अगुवाई में एक मंच पर विपक्षी दल के 20 नेता एकजुट हुए थे। इस रैली की अगुवाई खुद ममता बनर्जी
ने की थी। इस रैली में सभी ने केंद्र में मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया लेकिन पीएम पद की उम्मीदवारी पर कोई बात नहीं हुई। इस रैली में कांग्रेस की ओर से मल्लिकार्जुन खडग़े और अभिषेक मनु सिंघवी शामिल हुए।

ममता के पीछे खड़ा हो रहा पूरा विपक्ष 

इसके अलावा अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, चंद्रबाबू नायडू, एचडी देवगौड़ा, फारुख अब्दुल्ला सहित कई अन्य नेता भी शामिल हुए थे। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साफ कहा कि पीएम पद के लिए फैसला चुनाव के बाद लिया जाएगा। ममता बनर्जी की पूरी कोशिश है कि पीएम मोदी के खिलाफ खुद को वह नेता के तौर पर पेश करें। इसलिए उनका केंद्र के साथ टकराव बढ़ता जा रहा है। वहीं राहुल गांधी की अगुवाई में एक भी बार समूचा विपक्ष एक साथ मंच पर नहीं आया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह।

दिल्ली में महंगाई को लेकर हुई रैली में वामदलों को छोड़कर विपक्ष का कोई भी बड़ा धड़ा कांग्रेस के साथ नहीं आया था, जबकि ममता बनर्जी के पीछे एक महीने मे दो बार विपक्ष खड़ा है और खुद राहुल गांधी भी। पश्चिम बंगाल में बीजेपी हिंदुत्व की राजनीति को हवा देने की कोशिश में है। पीएम मोदी और अमित शाह रैलियों मे रोहिंग्याओं का मुद्दा उठा रहे हैं, उनकी रैली में भीड़ भी उमड़ रही है। साल 2016 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां तीन सीटें मिली थीं और उसका वोट प्रतिशत भी बढ़ा था।

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कांग्रेस यहां पर वामदलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी थी और उसे 44 सीटें मिली थीं, जबकि सीपीआईएम को मात्र 26 सीटें मिलीं और टीएमसी को सबसे ज्यादा 221 सीटें मिली थीं लेकिन इस चुनाव के बाद से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह राज्य में पूरी तरह से सक्रिय हो गए। कुल मिलाकर केंद्र से ममता का टकराव जितना बढ़ेगा उनकी छवि ऐसे नेता के तौर पर उभरेगी जो सड़क पर बीजेपी और पीएम मोदी से टक्कर ले सकती हैं, यह बात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को परेशान कर सकती हैं।