समरनीति न्यूज, बांदा : बेसिक शिक्षा निदेशक ने बांदा और चित्रकूट के बीएसए से एक मामले में दो दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही कड़ी नाराजगी जताई है। दरअसल, प्रकरण निजी विद्यालयों को मान्यता देने के मामले में लापरवाही बरतने का है। बताते हैं कि बांदा से 11 निजी स्कूल संचालकों ने और चित्रकूट से एक विद्यालय की मान्यता के लिए पोर्टल पर आवेदन हुए थे। 31 मार्च तक इन विद्यालयों की मान्यता के लिए दोनों जिलों के बीएसए को प्रक्रिया को आगे बढ़ाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
निजि स्कूलों की मान्यता प्रक्रिया से जुड़ा मामला
दोनों बीएसए द्वारा आवेदन निस्तारित न किए जाने पर अंतिम तिथि के बाद आवेदन निरस्त हो गए। इसपर शिक्षा निदेशालय ने कड़ी आपत्ति जताई है।
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बताते चलें कि बेसिक शिक्षा निदेशालय की ओर से एक मान्यता पोर्टल बना है। निजी स्कूलों के संचालक इसी पोर्टल के जरिए मान्यता के लिए आवेदन करते हैं। आवेदनों को कमी और त्रुटियों के आधार पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा जांचा जाता है। बांदा जिले में प्राथमिक स्तर की मान्यता के लिए 5 और जूनियर स्तर के विद्यालयों की मान्यता के लिए 6 आवेदन पोर्टल पर आए थे।
स्कूलों की मान्यता को लेकर चलता बड़ा खेल
आवेदनों के निस्तारण के लिए 31 मार्च तक तारीख निर्धारित थी। मगर बीएसए ने गंभीरता नहीं दिखाई। बेसिक शिक्षा निदेशक डा. सर्वेंद्र विक्रम सिंह ने बांदा के बीएसए राम पाल सिंह और चित्रकूट के बीएसए राजीव रंजन को पत्र जारी करते हुए नाराजगी जताई। साथ ही दो दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा है। उधर, सूत्रों की माने तो स्कूलों की मान्यता में लेन-देन का लंबा खेल होता है। इसलिए मान्यता की प्रक्रिया को कई स्तर से होकर गुजरना पड़ता है। वैसे भी शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार किसी से छिपा नहीं है।
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