समरनीति न्यूज, बांदा : जिले के ऐतिहासिक अजेय कालिंजर दुर्ग के जंगल में शुक्रवार सुबह भीषण रूप से आग लग गई। तेज हवा ने आग में घी का काम किया। आग तेजी से फैली और बेकाबू हो गई। सूचना पर बांदा, अतर्रा और कर्वी से फायरब्रिगेड की गाड़ियां आग पर काबू पाया। हालांकि, आग पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका। फिर भी माना जा रहा है कि आग अब आगे नहीं फैलेगी।
कई घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू तो पाया गया, लेकिन पूरी तरह से नहीं। सुबह करीब 7 बजे लगी आग की चिंगारी रात साढ़े 7 बजे तक चिंगारी बनकर सुलगती देखी गई।
गाड़ियां वापस लौट चुकी हैं। माना जा रहा है कि आग धीरे-धीरे शांत हो जाएगी। बताया जाता है कि किले के सुरक्षा गार्डों ने सुबह करीब 7 बजे जंगल से आग की लपटें उठती देंखी।
उन्होंने पुरातत्व विभाग को सूचना दी। इसके बाद फायर ब्रिगेड को सूचना दी गई। बताते हैं कि दुर्ग के ऊपर 7वें फाटक के पास लगी आग चौबे महल, रानी महल के साथ-साथ वेंकटबिहारी मंदिर व नीलकंठ मंदिर के मैदान में तेज हवा के साथ खूब फैली।
दिनभर फायरब्रिगेड की गाड़ियां आग पर काबू पाने की कोशिश करती रहीं। बताते हैं कि पुरातत्व विभाग के सर्किल अफसर सतेंद्र कुमार को मोबाइल फोन से आग की सूचना जिले के अधिकारियों को भी दी। आग लगने की जानकारी दी।
देर शाम तक आग को काबू में करने का प्रयास किया जाता रहा। लोगों का कहना है कि रात साढ़े 7 बजे तक आग के ढेर से चिंगारियां सुलगती देखी जा रही हैं।
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