समरनीति न्यूज, बांदाः बुधवार रात देश के कोने-कोने में होली जलाई गई, लेकिन बुंदेलखंड का एक गांव ऐसा भी है जहां होली नहीं जलाई जाती है। दरअसल, होली जलाए जाने का जिक्र आते ही इस गांव के लोग बुरी तरह से सहम जाते हैं। बीते कई दशकों से इस गांव में होलिका दहन नहीं होता है। आइये हम बताते हैं आपको इसकी वजह क्या है। दरअसल, यह गांव है मध्यप्रदेश के हिस्से में आने वाले सागर जिले के देवरी विकासखंड के हथखोह गांव। इस गांव में आज भी होलिका दहन का जिक्र लोगों के लिए किसी भयावह सपने से कम नहीं है।
होली का न उत्साह, न कोई उमंग
यही वजह है कि होलिका दहन को लेकर इस गांव में, न तो कोई उत्साह नजर आता है और न ही किसी तरह की कोई खुशी या उमंग ही लोगों में दिखाई देती है। यहां होली की रात भी दूसरी सामान्य रातों की तरह ही रहती है। इस गांव में होली न जलाने के पीछे एक किवदंती यह है कि दशकों पहले गांव में होलिका दहन के दौरान कई घरों में आग लग गई थी।
ये भी पढ़ेंः अजीबो-गरीबः पीपल के पेड़ की सुरक्षा में मुस्तैदी से तैनात पुलिस, सीसीटीवी से निगरानी..
आग काफी भीषण थी और उस वक्त गांव के लोगों ने झारखंडन देवी की आराधना की थी। माना जाता है कि देवी की कृपा से ही आग बुझी थी। गांव के सरपंच वीरभान भी इसका जिक्र करते हैं। बस तभी से गांव में होलिका दहन नहीं होता है। गांव के बुजुर्गों का भी कहना है कि उनको याद नहीं कि गांव में कब होलिका दहन हुआ था।
ये भी पढ़ेंः पत्नियों से परेशान पतियों ने सूपर्णखा का पुतला जलाकर मनाया दशहरा
अब लोगों को डर है कि कहीं होलिका दहन किया गया तो झारखंडन देवी नाराज हो सकती हैं। हांलाकि दूसरी ओर यह भी सच है कि गांव में होलिका दहन भले ही नहीं होता लेकिन होली खेली खूब जाती है। झारखंडन माता मंदिर के पुजारी बलराम ठाकुर का कहना है कि हथखोह गांव के लोगों के बीच चर्चा होती है कि देवी मां ने खुद दर्शन दिए थे और लोगों से होली न जलाने को कहा था। इसी के बाद से होलिका दहन नहीं करने की परंपरा शुरू हो गई।