समरनीति न्यूज, बांदा : जब तक हम सभी बाल्मिकी रामायण के आदर्शों और चाणक्य नीति का पालन करते हुए जीवन जीते रहे, भारत अपने स्वर्ण युग में रहा। इसके बाद जब हम इन आदर्शों से विमुक्त हुए तो गुलामी का जीवन जीए। देश ने तमाम दिक्कतों का सामना किया। अब भारत फिर आर्थिक संकट से निकलने की राह दिखा रहा है। हम सभी को भरोसा है कि एक फिर हमारा देश स्वर्णिम इतिहास को हासिल करेगा।
महिला कालेज में आयोजित हुई संगोष्ठी
यह बातें बांदा के राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित साहित्यक परिप्रेक्ष्य विषयक पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में जेएनयू प्रोफेसर हरिराम मिश्र ने कहीं। श्री मिश्रा ने कहा कि हमारी संस्कृति की चेतना आत्मकेंद्रित नहीं है, बल्कि मानवता केंद्रित है।
स्त्री का सम्मान ही हमारी संस्कृति का मूल आधार है, क्योंकि बिना शक्ति के शिव भी पूरे नहीं है। दिल्ली विश्व विद्यालय की प्रोफेसर डॉ. अल्पना मिश्र भी मौजूद रहीं। इस मौके पर प्रोफेसर पंकज चतुर्वेदी, दीपाली गुप्ता, संतोष कुमार, डॉ. पीयूष कुमार आदि मौजूद रहे।
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