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लखनऊ-बुंदेलखंडः फेक वेबसाइट से फर्जी रवन्ने, सरकार को 200 करोड़ का चूना, महोबा का जालसाज गिरफ्तार

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प्रतिकात्मक फोटो।

मनोज सिंह शुमाली, लखनऊ/बांदाः खनिज महकमे में एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है, जिसने राजधानी में बैठे अधिकारियों के भी होश उड़ा दिए हैं। यहां साइबर क्राइम ब्रांच की टीम ने एक फर्जी वेबसाइट के जरिए ट्रकों के फर्जी ई-रवन्ना (रायल्टी पेपर) जारी करने वाले गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिसने फर्जी रवन्ना जारी करते हुए सरकार को लगभग 200 करोड़ रुपए का चूना लगा डाला है। इनमें पकड़ा गया जालसाज सचिन सिंह, बुंदेलखंड के महोबा जिले का रहने वाला बताया जा रहा है। इस फेक वेबसाइट के जरिए फर्जी ई-रवन्ना से हजारों ट्रक बालू, मौरंग और गिट्टियां निकाल दी गई। दरअसल, खनिज विभाग की ओर से इस संबंध में साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी।

जांच पर शासन की है पैनी नजर

साइबर क्राइम पुलिस अब अवैध खनन के गौरखधंधे में शामिल बाकी लोगों का पता लगा रही है। बहरहाल, इतने बड़े स्तर पर हुई जालसाजी और सरकार को 200 करोड़ का चूना लगाने के इस गौरखधंधे में कई बड़े सफेदपोशों के भी शामिल होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता। सूत्रों की माने तो यही वजह है कि शासन भी इस जांच पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।

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हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं है जब इस तरह की बातें सामने आई हों, बल्कि जानकार बताते हैं कि बुंदेलखंड में फर्जी रवन्ने के जरिए अवैध खनन का गौरखधंधा बहुत पुराना है। सही से जांच हो जाए तो कई सफेदपोश इसके लपेटे में आ सकते हैं। पिछली सरकारों में यह मामला दबा दिया जाता था, लेकिन अबकी बार शिकायत मिलते ही साइबर क्राइम पुलिस की की टीमें इसके खुलासे में जुट गई थीं।

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प्रदेश में खासकर बुंदेलखंड के बांदा, महोबा और हमीरपुर, उरई, झांसी और ललितपुर जैसे इलाकों में फैले इस गौरखधंधे का खुलासा करते हुए साइबर क्राइम की टीम ने राजधानी लखनऊ के पॉलीटेक्निक चौराहे से जालसाज सचिन सिंह को गिरफ्तार कर लिया। जालसाज सचिन सिंह मूल रूप से बुंदेलखंड के ही महोबा जिले का रहने वाला है।

जालसाज ने उगला चौंकाने वाला सच

साइबर क्राइम की टीम द्वारा की गई पूछताछ में सचिन सिंह नाम के इस जालसाज ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए। उसने पुलिस को बताया कि उसने upminesupsdcgov.in के नाम से एक फर्जी वेबसाइट बनाई थी। इसपर ट्रक नंबर एवं ड्राइवर का नाम के साथ ही फोन नंबर डालकर असली रायल्टी पेपर की तरह दिखने वाला फर्जी ई-रवन्ना तैयार कर दिया जाता था।

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इसी फर्जी दस्तावेज से बालू, मौरंग और गिट्टी के सैकड़ों ट्रकों को बैरियर से पास करा दिया जाता था। उसने यह भी बताया कि एक गाड़ी की रायल्टी बनाने के बदले में वह और उसके साथी ट्रक ड्राइवर से 10 से 15 हजार रुपए तक वसूलते थे। इसके बाद गौरखधंधे में शामिल लोग ट्रकों से होने वाली मोटी कमाई को बांट लेते थे। साइबर थाना की टीम जालसाजी के इस गौरखधंधे में शामिल लोगों की तलाश में जुटी है, ताकि बांदा, हमीरपुर, महोबा और झांसी सहित प्रदेशभर में अवैध खदान के नेटवर्क खालुसा किया जा सके।

इन्होंने कराई फर्जी रवन्ने की रिपोर्ट

बताते हैं कि खनन निदेशालय में तैनात खनिज अधिकारी सुभाष रंजन की ओर से साइबर क्राइम थाने में इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने शिकायत कराई थी कि फर्जी ई-रवन्ना के जरिए रोज सैकड़ों ट्रक बालू निकाले जाने का मामला प्रकाश में आया है। इसके बाद हरकत में आई साइबर क्राइम के एसपी रोहनपी कनय ने मामले के खुलासे के लिए एक टीम का गठन किया। साथ ही सर्विलांस के जरिये इस गौरखधंधे के जरिए जालसाजों के बारे में अहम जानकारियां भी जुटाईं। साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को जांच के बाद पता चल गया कि लगाए गए आरोप सौ फीसद सच हैं।

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