Friday, April 19सही समय पर सच्ची खबर...

इंसानियत ! कार में बैठे संभ्रांत व्यक्ति की सड़क पर घिसटते लावारिश से जुड़ी मानवीय संवेदनाओं ने तोड़ी बंदिशें

must-read-news-of-human-sensibilities-of-a-car-sitting-rich-man-sekh-sadi-jawa-with-an-abandoned-man-on-street

समरनीति न्यूज, ब्यूरो : कुछ लोग इंसानियत की ऐसी मिसाल कायम कर देते हैं, जो न सिर्फ दूसरों को प्रेरणा दे जाती है, बल्कि हर किसी को सोचने पर मजबूर कर देती है। आज के दौर में जब लोगों के पास अपनों के लिए वक्त नहीं, ऐसे वक्त में भी कुछ लोग आज भी हैं जो अनजाने बेसहारों के लिए बहुत कुछ कर गुजरते हैं। बांदा की बड़ी शख्सियत और जामा मस्जिद के मुतवल्ली शेख सादी जमां ने एक ऐसी ही मिसाल कायम की। उनके एक नेक काम ने मानवीय संवेदनाओं को नए ढंग से परिभाषित करने का काम किया। साबित कर दिया कि कुछ अच्छा करने के लिए खास मौकों की जरूरत नहीं होती, बल्कि दिल में जज्बात होने चाहिए, बस।

दर्द को अनदेखा कर गुजरती रहीं गाड़ियां

दरअसल, गुरुवार को बांदा के रहने वाले शेख सादी जमां अपने परिवार के साथ कार से लखनऊ जा रहे थे। उनकी कार बांदा और चिल्ला के बीच दौड़ रही थी। इसी बीच रास्ते में अतरहट गांव में ठीक मोड़ पर बीच सड़क पर एक फटेहाल घिसटते चल रहा बुजुर्ग सामने दिखाई दिया।

must-read-news-of-human-sensibilities-of-a-car-sitting-rich-man-sekh-sadi-jawa-with-an-abandoned-man-on-street

कार और नजदीक पहुंची तो उसके हाथों और पैरों के गहरे जख्म और उनसे रिसता खून दिखा। बुजुर्ग सड़क के बीचों-बीच था, वहां से गुजर रहीं गाड़ियां उसे बचाते हुए दोनों साइड से गुजर रही थीं लेकिन शेख सादी उस बुजुर्ग की हालत देखकर खुद को रोक नहीं पाए।

जख्मों से रिसता खून, न बोल पा रहा-न समझ

उन्होंने गाड़ी रुकवाई, कार से नीचे उतरकर बुजुर्गवार से हाल जानने की कोशिश की। बुजुर्ग तो कुछ नहीं बोल पा रहा था लेकिन उसके पैरों और हाथों में गहरे जख्म, उनसे रिसता खून और मेले-कुचेले फटे कपड़े तकलीफों की कहानी बयां कर रहे थे। वहां आए दो-तीन लोगों ने पूछने पर बताया कि बताया कि बुजुर्ग अतरहट गांव के रहने वाले नहीं हैं, न ही उन्हें आसपास के इलाके में कभी देखा गया है।

ये भी पढ़ें : बांदा, जहां ‘फैसले’ पर भारी पीढ़ियों के रिश्ते तो मस्जिद के मुतवल्ली संग बीजेपी-विहिप नेताओं के ढहाके

बहरहाल, स्थिति को समझ गरीब को इलाज की जरूरत देखते हुए सादी भाई ने एंबुलेंस बुलाने के लिए फोन काॅल की। फिर अधिकारियों से संपर्क करते हुए लावारिस को एंबुलेंस और साथ में एक कांस्टेबल की व्यवस्था कराई, ताकि मरीज को भर्ती कराया जा सके। कांस्टेबल एंबुलेंस से बुजुर्ग को लेकर बांदा जिला अस्पताल पहुंचा। इसके बाद सादी जमां अपनी कार से लखनऊ के लिए रवाना हो गए। लेकिन बात अभी यहीं खत्म नहीं हुई।

must-read-news-of-human-sensibilities-of-a-car-sitting-rich-man-sekh-sadi-jawa-with-an-abandoned-man-on-street
शेख सादी जमां।

शेख सादी को गरीब की फिक्र सताती रही, चलते-चलते फोन काॅल पर उन्होंने अपने सहयोगियों को जिला अस्पताल पहुंचने को कहा। एंबुलेंस के पहुंचने तक सहयोगियों की टीम भी वहां पहुंच चुकी थी।

अब आपरेशन की तैयारी में जुटे डाक्टर

सहयोगियों ने लावारिस का इलाज शुरू कराने से लेकर नहलाने-धोने तक का काम किया। अस्पतालों में लावारिश गरीब की कितनी देख-रेख होती है, यह किसी से छिपा नहीं है। इसलिए हर बात का ध्यान रखा गया। जिला अस्पताल के डाक्टर विनीत सचान और डा. सरसैया की देखरेख में बुजुर्गवार का इलाज चल रहा है। हालांकि, अभी उनकी पहचान नहीं हो सकी है। उधर, शेख सादी जमां गरीब का हालचाल ले रहे हैं। हर तरह की दवाएं और जरूरत का दूसरा सामान उनको दिया जा रहा है। डाक्टर जल्द ही उनके आपरेशन की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, समाज सेवा के क्षेत्र में शेख सादी जमां बुंदेलखंड का बड़ा नाम है, लाइम लाइट से दूर रहते हुए रोटी बैंक चलाने से लेकर कई और काम उनके द्वारा किए जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें : ..न इलाज मिला और न एंबुलेंस, तमाशबीनों के बीच से बैलगाड़ी पर निकली गरीब किसान की अंतिम यात्रा