प्रेम कुमार, ब्यूरो (लखनऊ) : अपर्णा यादव की राजनीतिक महत्वाकांक्षा कहीं ना कहीं उनपर भारी पड़ती दिख रही है। अपर्णा ने बीजेपी ज्वाइन करने के बाद कहा था कि हमारे लिए राष्ट्र सबसे पहले है, मैं राष्ट्र की आराधना करने निकली हूं लेकिन बीजेपी जानती है कि पार्टी के लिए अपर्णा कितना महत्वपूर्ण हैं। इसीलिए चुनाव प्रचार के लिए तैयार की गई सूची में अपर्णा यादव का नाम कहीं नहीं है। एक समय मैनपुरी से चुनाव लड़ाने की चर्चा चल पड़ी थी कि मुकाबला बड़ी बहू और छोटी बहू में होगा। लेकिन बीजेपी छोटी बहू पर दांव लगाने को तैयार नहीं हुई।
मैनपुरी में हो-हल्ले के बावजूद अपर्णा पर दांव नहीं
राजनीति विज्ञान में स्नातक और इंगलैंड से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में मास्टर डिग्रीधारी अपर्णा का बीजेपी के प्रति अतिशय प्रेम की वजह पारिवारिक घटनाक्रम रहा।
2017 का विधानसभा चुनाव ज्यों ही खत्म हुआ और बीजेपी सत्तासीन हुई अपर्णा लखनऊ के कैंट विधानसभा क्षेत्र से मिली हार के लिए सपा नेतृत्व पर उंगली उठाने लगीं। फिर सीएम योगी आदित्यानथ से नजदीकियां खुल कर दिखाने लगीं। जीत के तुरंत बाद सीएम योगी अपर्णा के साथ कान्हा उपवन (गौशाला) गए थे।
बीजेपी को खुश करने वाले बयानों को लेकर रहीं चर्चाएं
उसके बाद कई मौकों पर अपर्णा ने बीजेपी को खुश करने वाले और समाजवादी पार्टी को आहत करने वाले बयान दिए। वैसे तो 2014 में वो पहली बार चर्चा में तब आईं जब पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान की खुलकर तारीफ की थीं। गौरतलब है कि उस समय सपा की अखिलेश सरकार के कार्यकाल के दो साल बीत चुके थे।
2019 में भी बीजेपी से संपर्क साध चुकी थीं अपर्णा यादव
बीजेपी सूत्रों के हवाले से 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी अपर्णा के लोगों ने बीजेपी से संपर्क साधा था, लेकिन बीजेपी ने इसे मजाक बनाकर संदेश भिजवा दिया कि अगर मुलायम सिंह यादव खुद लेकर आते हैं तो ज्वाइनिंग हो जाएगी। जाहिर है लोकसभा चुनाव पीएम के नाम पर लड़ा जा रहा था और ऐसे में अपर्णा के आने से कोई फर्क नहीं पड़ता। जब 2022 का विधानसभा चुनाव सामने था बीजेपी ने अपर्णा को जनवरी 2022 में ज्वाइन करा लिया।
कैंट उम्मीदवारी से MLC-Minister की कयासबाजी तक कुछ नहीं
बात इतनी सी थी कि अखिलेश मजबूती से चुनाव लड़ रहे थे, शिवपाल उनके साथ दिख रहे थे और ऐसे में परिवार न संभाल पाने का संदेश अपर्णा की ज्वाइनिंग से ही जा सकता था।
बीजेपी अपने हिसाब से तय करती है नेताओं को कद
ज्वाइनिंग के बाद कयासों का दौर निकल पड़ा कि लखनऊ के कैंट विधानसभा क्षेत्र से अपर्णा उम्मीदवार हो सकती हैं,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर एमएलसी बनाने, मंत्री बनाने के भी कयास निकल पड़े लेकिन कुछ नहीं हुआ। मैनपुरी से चुनाव लड़ाने की चर्चा भी चली, लेकिन यहां भी कुछ नहीं मिला। अब मेयर के चुनाव में लखनऊ से दावेदारी की चर्चा चल पड़ी है। वैसे भी बीजेपी का इतिहास रहा है कि पार्टी अपने हिसाब से कद तय करती है और वो अपर्णा यादव का कद तय कर चुकी होगी।
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