मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो : UP Election 2022 : विधानसभा चुनाव 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादुई व्यक्तित्व के चलते बुंदेलखंड की 19 सीटों पर कमल खिलाने वाली भारतीय जनता पार्टी इस बार अलग मूड में है। शायद कुछ महीने पहले हुए पंचायत चुनाव में सदस्यों की करारी हार के चलते फूंक-फूंककर कदम रख रही है। बुंदेलखंड की बात करें तो यहां पार्टी सीधेतौर पर क्षत्रियों से परहेज करती नजर आ रही है।
क्षत्रिय नेता कर रहे खुद को उपेक्षित महसूस
क्षत्रिय नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। वे मानते हैं कि भाजपा उनसे बराबर दूरी बनाकर चल रही है। परहेज की क्या वजह है, इसे लेकर समाज भी सकते में है। हाल यह है कि जिन सीटों पर 2017 में ठाकुरों ने जीत का परचम लहराया था, उनपर भी फिलहाल पार्टी होल्ड का बटन दबाए हुए है। दरअसल, बुंदेलखंड में ब्राह्मणों और पिछड़ों के लिए टिकट बंटवारे में दिल खोलने वाली बीजेपी, क्षत्रियों के मामले में कंजूसी बरत रही है।
13 प्रत्याशियों में एक भी क्षत्रिय (ठाकुर) नहीं
बताते चलें कि अबतक बीजेपी बुंदेलखंड की 19 सीटों में से 13 पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। 6 सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है। जिन 13 सीटों पर पार्टी ने उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें से 1 भी क्षत्रिय नहीं है। यह बात क्षत्रिय नेताओं और वोटरों के गले नहीं उतर रही है।
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चर्चा है कि बीजेपी इस बार ठाकुर (क्षत्रिय) बिरादरी से दूरी बनाकर चल रही है। पार्टी किस रणनीति पर चल रही है, इसको लेकर क्षत्रिय वोटर भी सकते में हैं। खुद पार्टी के ही एक पदाधिकारी का कहना है कि बांदा की क्षत्रिय बाहुल्य तिंदवारी विधानसभा सीट और हमीरपुर सीट पर अभी टिकट को लेकर कुछ साफ नहीं है।
इन सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार घोषित
झांसी सदर से रवि शर्मा, बबीना से राजीव सिंह पारीछा, गरौठा से जवाहर लाल राजपूत, उरई से गौर शंकर वर्मा, माधवगढ़ से मूलचंद्र निरंजन, ललितपुर से रामरतन कुशवाह, महरौनी से मनोहर लाल पंथ, राठ से मनीषा अनुरागी, महोबा से राकेश गोस्वामी, चरखारी से बृजभूषण राजपूत, बबेरू से अजट पटेल, नरैनी से ओममणि वर्मा, बांदा से प्रकाश द्विवेदी को पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया है।
इन सीटों पर पार्टी के पत्ते खुलने अभी बाकी
दूसरी ओर मऊरानीपुर, कर्वी, मानिकपुर, बांदा के तिंदवारी, हमीरपुर और कालपी सीटों पर उम्मीदवारों को लेकर पार्टी विचार कर रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही इन सीटों के उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी। बाकी सीटों में कितने क्षत्रिय प्रत्याशी बीजेपी मैदान में उतारती है, यह देखना बाकी है।
क्षत्रिय महासभा ने बुलाई विचार-विमर्श को बैठक
क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह परिहार का कहना है कि सब कोई देख रहा है, सबके सामने है। क्षत्रियों की उपेक्षा हो रही है। क्षत्रिय जाएं तो कहां जाएं। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय हमेशा से राष्ट्रवादी रहा है। इसके बावजूद उपेक्षा का शिकार है। कहा कि बीजेपी की उपेक्षा के चलते इस चुनाव में क्षत्रिय बंटता जा रहा है।
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उन्होंने कहा कि बांदा की तिंदवारी सीट पर निषाद पार्टी के सौदेबाजी की बातें सामने आई थीं। कहा कि 28 जनवरी को क्षत्रिय महासभा की बैठक बुलाई गई है। उसमें क्षत्रियों की उपेक्षा को लेकर विचार विमर्श किया जाएगा। उधर, बांदा के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र सिंह परिहार कहते हैं, कि क्षत्रिय वोटरों ने बीजेपी को काफी सपोर्ट किया है। मगर यह भी सच है कि बीजेपी क्षत्रिय से दूरी बनाकर चल रही है। यही वजह है कि क्षत्रिय वोटरों में नाराजगी लाजमी है।
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