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UP पंचायत चुनाव : बुंदेलखंड से पूर्वांचल तक माननीयों की उड़ी नींद, वजह है CM योगी का यह फैसला..

Yogi government implemented ESMA law in U.P.

समरनीति न्यूज, ब्यूरो : बुंदेलखंड से पूर्वांचल तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक फैसले से भाजपा के कई माननीयों की नींद उड़ी हुई है। दरअसल, इन माननीयों में ऐसे मंत्री, सांसद और विधायक शामिल हैं जो पंचायतों पर भी अपना वर्चस्व बनाए हुए हैं। बीती 19 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी ने बैठक करते हुए फैसला लिया था कि आने वाले पंचायत चुनाव में कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी जाए। मतलब साफ है कि पार्टी नेताओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं पर लगाम कसने के साथ ही पार्टी में बढ़ते नजर आ रहे परिवारवाद पर रोक लगे। यूपी का बुंदेलखंड हो या पूर्वांचल, जिला पंचायत अध्यक्ष से लेकर ब्लाक प्रमुख तक के पद पर माननीयों के रिश्तेदार जमे बैठे हैं। अब ऐसे माननीय पार्टी प्रदेश कार्यालय से लेकर संगठन पदाधिकारियों से मुलाकात में व्यस्त हैं।

फतेहपुर में मंत्री का भतीजा ब्लाक प्रमुख, बहू सदस्य

यूपी के कई जिलों में मंत्री, सांसद और विधायकों के रिश्तेदार पंचायतों के बड़े पदों पर काबिज हैं। फतेहपुर में राज्यमंत्री रणवेंद्र प्रताप उर्फ धुन्नी सिंह का भतीजा ब्लाक प्रमुख है। वहीं बहू रेखा सिंह भी क्षेत्र पंचायत की सदस्य हैं।

प्रतापगढ़ में कैबिनेट मंत्री का भतीजा ब्लाक प्रमुख

इसी तरह प्रतापगढ़ में कैबिनेट मंत्री मोती सिंह का भतीजा राकेश सिंह ब्लाक प्रमुख है। गोंडा में सांसद बृजभूषण शरण की पत्नी केतकी सिंह जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं।

बांदा में भाजपा विधायक की पत्नी जिपं अध्यक्ष

बांदा में प्रकाश द्विवेदी सदर विधायक हैं। उनकी पत्नी सरिता द्विवेदी जिला पंचायत की अध्यक्ष हैं। मथुरा की जिला पंचायत अध्यक्ष ममता चौधरी कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण की पत्नी हैं। वहीं मंत्री का भतीजा और भांजा दोनों पंचायत सदस्य हैं। इसी तरह देवरिया जिले के मंत्री सूर्य प्रताप शाही का बेटा सुब्रत शाही ब्लाक प्रमुख के पद पर है।

कुशीनगर में भाजपा सांसद का बेटा ब्लाक प्रमुख

वहीं कुशीनगर के सांसद विजय दुबे का बेटा ब्लाक प्रमुख है। आजमगढ़ में विधायक अरुण कांत यादव की भाभी अर्चना यादव ब्लाक प्रमुख हैं। बहराइच में विधायक सुरेश्वर सिंह की भाभी ब्लाक प्रमुख के पद पर हैं। रायबरेली में एमएलसी दिनेश सिंह का भाई जिला पंचायत अध्यक्ष है। इस तरह माननीय के रिश्तेदारों की एक लंबी लिस्ट है जो पंचायत पर भी कब्जा जमाए हैं। यानी दोनों हाथों से लड्डू खा रहे हैं। बता दें कि सपा और बसपा पर अक्सर परिवारवाद का आरोप लगता रहा है। बीजेपी दोनों दलों को इस मुद्दे पर घेरती रही है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व नहीं चाहता कि उनके ऊपर भी इस तरह के आरोप लगें।

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