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जानिए बुंदेलखंड और जानिए अपनी झांसी लोकसभा सीट को..

झांसी की रानी की प्रतिमा।

मनोज सिंह शुमाली, पॅालिटिकल डेस्कः  रानी लक्ष्मी बाई की झांसी अपने गौरवमयी इतिहास के कारण प्रसिद्ध है। वीरता-त्याग और आत्म सम्मान का पर्याय झांसी उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 46वें नंबर की सीट है। ओरक्षा मंदिर और मेडिकल कॉलेज के लिए झांसी काफी मशहूर है। मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित झांसी उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण शहर है जो बुंदेलखंड इलाके में आता है। यह शहर पत्थर निर्मित किले के चारों ओर फैला हुआ है। यह किला शहर के बीचों-बीच बंगरा नाम पहाड़ी पर बना हुआ है। 20.7 वर्गमीटिर में फैला झांसी चंदेल राजाओं के अधीन रहा है। रानी लक्ष्मीबाई के अलावा झांसी से कई और महान व्यक्तित्व जुड़े रहे हैं। इनमें चंद्रशेखर आजाद, मैथिलीशरण गुप्त, ध्यानचंद, वृंदावनलाल वर्मा, महाकवी केशवदास और सुबोध मुखर्जी के अलावा तात्याटोपे, ताब झास्वी तथा जलकारी बाई प्रमुख हैं।

यहां की आबादी और शिक्षा की स्थिति 

यूपी के चर्चित शहरों में से एक झांसी की 91 प्रतिशत आबादी हिंदू और 7 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है। साल 2014 के चुनाव में 1932052 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 53 प्रतिशत पुरुष और 46 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं। झांसी की साक्षरता दर 83.02 प्रतिशत है। इस लोकसभा में उत्तर प्रदेश विधानसभा की पांच सीटें आती हैं, जिनके नाम हैं बबीना, ललितपुर, झांसी नगर, महरौनी और मऊरानीपुर, जिनमें से महरौनी और मऊरानीपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।

शुरू से अबतक का राजनीतिक घटनाक्रम

झांसी में हुए सोलह लोकसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस, पांच बार भारतीय जनता पार्टी और एक-एक बार भारतीय लोकदल व समाजवादी पार्टी ने अपना परचम लहराया।इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी अब तक अपना खाता नहीं खोल सकी है। झांसी-ललितपुर सीट से 1952 से 57 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से रघुनाथ विनायक धुलेकर सांसद रहे। इसके बाद लगातार तीन बार 1957-62, 1962-67 और 1967-71 तक सुशीला नैयर सांसद रहीं। फिर 1971 से 77 तक गोविंद दास रिछारिया सांसद रहे।

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इसके बाद 1980 से 84 तक पं. विश्वनाथ शर्मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) से सांसद रहे। 1984 से 89 तक और फिर 1999 से 2004 तक दो बार यहां से सुजान सिंह बुंदेला सांसद रहे। इसके बाद 2009 से 2014 तक कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य सांसद चुने गए। मनमोहन सिंह सरकार में वह ग्रामीण विकास राज्यमंत्री भी बनाए गए। झांसी ललितपुर सीट पर पहली बार 1989 में भाजपा ने कांग्रेस को झटका देकर यह सीट अपनी झोली में डाल ली थी।

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तब इस सीट पर भाजपा के राजेंद्र अग्निहोत्री सांसद चुने गए थे। इसके साथ ही वह 1991-96, 1996-98 और 1998-99 में लगातार चार बार सांसद चुने गए। उसके बाद 1999-2004 यह सीट कांग्रेस के पास चली गई। फिर 2004 से 2009 तक यहां से समाजवादी पार्टी के चंद्रपाल सिंह यादव सांसद बने। इसके बाद 2009 से 2014 तक यह सीट फिर कांग्रेस के पास पहुंच गई।

झांसी का नक्शा।

तब यहां से कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य  चुने गए। फिर 2014 के चुनाव में एक बार फिर यह सीट भाजपा के खाते में आई। तब यहां से भाजपा की फायर ब्रांड नेता उमा भारती सांसद बनीं। इस सीट पर 1977 से 80 तक भारतीय लोकदल के टिकट पर सुशीला नैयर भी सांसद रहीं। इस बार देखना है कि गठबंधन के चलते यहां का राजनीतिक ऊंट किस करवट बैठता है।

लोकसभा वर्ष पार्टी नाम

  1. पहली 1952 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रघुनाथ विनायक धुलेकर 
  2. दूसरी 1957 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सुशीला नायर
  3. तीसरी 1962 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सुशीला नायर
  4. चौथी 1967 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सुशीला नायर
  5. पांचवीं 1971 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गोविंद दास रिचारिया
  6. छठीं 1977 भारतीय लोकदल सुशीला नायर
  7. सातवीं 1980 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस(आई) विश्वनाथ शर्मा
  8. आठवीं 1984 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सुजान सिंह बुंदेला
  9. नौवीं 1989 भारतीय जनता पार्टी राजेन्द्र अग्निहोत्री
  10. दसवीं 1991 भारतीय जनता पार्टी राजेन्द्र अग्निहोत्री
  11. ग्यारहवीं 1996 बहुजन समाज पार्टी राजेन्द्र अग्निहोत्री
  12. बारहवीं 1998 भारतीय जनता पार्टी राजेन्द्र अग्निहोत्री
  13. तेरहवीं 1999 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सुजान सिंह बुंदेला
  14. चौदहवीं 2004 समाजवादी पार्टी चंद्रपाल सिंह यादव
  15. पंद्रहवीं 2009 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रदीप जैन आदित्य
  16. सोलहवीं 2014 भारतीय जनता पार्टी उमा भारती 
बुंदेलखंड का नक्शा।

जानिए बुंदेलखंड के बारे में खास बातें 

बुंदेलखंड भारत के मध्य का भाग है, जो उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में पड़ता है। इसका विस्तृत इतिहास है। उत्तर प्रदेश के सात जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर का भूभाग बुंदेलखंड कहलाता है। लगभग 29 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस इलाके में कुल 24 तहसीलें, 47 ब्लाक और जनसंख्या लगभग एक करोड़ है। हालांकि राजनीतिक स्तर पर जिस पृथक राज्य की परिकल्पना है उसमें तेइस जिले हैं जिनमें मप्र के भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, ग्वालियर, दतिया, जबलपुर, टीकमगढ़, भिंड, छतरपुर, पन्ना और सतना भी शामिल हैं।

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बुंदेलखंड चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शायद इसीलिए चुनाव करीब आते ही यहां राजनीतिक दलों की आवाजाही बढ़ जाती है। इस क्षेत्र के साथ सबसे बड़ी विडंबना है कि यहां नेता विकास के सिर्फ बढ़-चढ़कर वादे करते है। वादे कभी धरातल पर साकार नहीं होते। शायद इसीलिए यह क्षेत्र तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में जितना परेशान किसान है उतना ही अन्य लोग। फिलहाल हम आपको बुंदेलखंड की राजनीति बताने जा रहे है कि कौन सी पार्टी का यहां कितने साल कब्जा रहा है। बुंदेलखंड में चार लोकसभा क्षेत्र आता है। बांदा, जालौन, हमीरपुर और झांसी लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा रोचक रहा है।

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