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जानिए बुंदेलखंड और जानिए अपनी लोकसभा सीट बांदा को..

बांदा लोकसभा सीट से भाजपा, कांग्रेस और गठबंधन के प्रत्याशी। आरके सिंह पटेल (बीच में) श्यामाचरण गुप्ता (बाएं) और बालकुमार पटेल (दाएं)

मनोज सिंह शुमाली, पॉलीटिकल डेस्कः बुंदेलखंड भारत के मध्य का भाग है, जो उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में पड़ता है। इसका विस्तृत इतिहास है। उत्तर प्रदेश के सात जिलों चित्रकूट, बांदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन, झांसी और ललितपुर का भू-भाग बुंदेलखंड कहलाता है। लगभग 29 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस इलाके में कुल 24 तहसीलें, 47 ब्लाक और जनसंख्या लगभग एक करोड़ है। हालांकि राजनीतिक स्तर पर जिस पृथक राज्य की परिकल्पना है उसमें तेइस जिले हैं जिनमें मप्र के भिंड, मुरैना, शिवपुरी, गुना, विदिशा, रायसेन, नरसिंहपुर, सागर, दमोह, ग्वालियर, दतिया, जबलपुर, टीकमगढ़, भिंड, छतरपुर, पन्ना और सतना भी शामिल हैं।

चुनावों में महत्वपूर्ण हो जाता बुंदेलखंड 

बुंदेलखंड चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शायद इसीलिए चुनाव करीब आते ही यहां राजनीतिक दलों की आवाजाही बढ़ जाती है। इस क्षेत्र के साथ सबसे बड़ी विडंबना है कि यहां नेता विकास के सिर्फ बढ़-चढ़कर वादे करते है। वादे कभी धरातल पर साकार नहीं होते। शायद इसीलिए यह क्षेत्र तमाम समस्याओं से जूझ रहा है। सूखे की मार झेल रहे बुंदेलखंड में जितना परेशान किसान है उतना ही अन्य लोग। फिलहाल हम आपको बुंदेलखंड की राजनीति बताने जा रहे है कि कौन सी पार्टी का यहां कितने साल कब्जा रहा है। बुंदेलखंड में चार लोकसभा क्षेत्र आता है। बांदा, जालौन, हमीरपुर और झांसी लोकसभा सीट का चुनाव हमेशा रोचक रहा है।

ऐसा है बांदा लोकसभा सीट का इतिहास 

बांदा जिला उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में से एक है। इसका जिला मुख्यालय बांदा है। यह चित्रकूट मंडल का हिस्सा है। बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित बांदा में ‘शजर’ के पत्थर पाए जाते है जिनका उपयोग गहने बनाने में किया जाता है। यह क्षेत्र उत्तर में फतेहपुर, पूर्व में चित्रकूट, पश्चिम में हमीरपुर और महोबा और दक्षिण में मध्य प्रदेश के सतना, पन्ना और छतरपुर से घिरा हुआ है। बांदा देश के 250 अति पिछड़े जिलों में शामिल है।

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इस कारण इसे पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि मिलती है। बांदा से होकर एनएच-76 और एनएच- 232 गुजरते है। जिला 4,413 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यहां की आबादी का मुख्य पेशा खेती है। यहां खरीफ, रबी और जैद (ककडी, तरबूज, खरबूजा) हर प्रकार की चीजें उपजाई जाती हैं। बांदा में मुख्यत: बुंदेली भाषा बोली जाती है। यहां की संस्कृति और कालिंजर दुर्ग के प्रचार के लिए हर साल सात दिन तक चलने वाला कालिंजर महोत्सव मनाया जाता है।

बांदा जिले का मैप।

यहां की आबादी/शिक्षा की स्थिति 

बांदा जिले में पांच तहसीलें है जिसमें बांदा, नरैनी, बबेरु, अतर्रा और पैलानी शामिल है। 2011 की जनगणना के मुताबिक बांदा जिले की आबादी 1,799,410 है जिनमें 965,876 पुरुष और 833,534 महिलाएं शामिल हैं। 2001 से 2011 तक बांदा की जनसंख्या 17.05 प्रतिशत बढ़ी जबकि यह बढ़ोत्तरी 1991 से 2001 के बीच 21.03 प्रतिशत थी। यहां की 16.39 प्रतिशत आबादी छह साल से कम उम्र की है। जिले में प्रति 1000 पुरुषों पर 863 महिलाएं हैं। यहां की साक्षरता दर 66.67 प्रतिशत है, जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 77.78 प्रतिशत जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 53.67 प्रतिशत है।

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बांदा मुख्य रूप से हिंदू बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की 91 प्रतिशत आबादी हिन्दू और 8.76 प्रतिशत आबादी इस्लाम में आस्था रखती है। चुनाव आयोग की 2014 की रिपोर्ट के मुताबिक बांदा-चित्रकूट जिले में कुल मतदाता – 16,01279 है जिसमें पुरुष मतदाता की संख्या 884406 और महिला मतदाता 716808 हैं। बांदा संसदीय क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की कुल पांच विधानसभा सीटें आती है जिनमें बबेरु, नरैनी, बांदा, चित्रकूट और मानिकपुर शामिल है। नरैनी की विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।

बांदा रेलवे स्टेशन की सांकेतिक फोटो।

शुरू से अबतक राजनीतिक घटनाक्रम

बांदा की लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद से ही सामान्य श्रेणी की सीट रही है। 1957 में जब यहां आम चुनाव हुए तब यह सीट यूपी की 30वीं लोकसभा सीट हुआ करती थी। पहली बार हुए चुनाव में कांग्रेस के राजा दिनेश सिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के भूपेंद्र निगम उर्फ भूपत बाबू को 20,542 वोटों से हरा दिया था। 1962 में दोबारा कांग्रेस ने इस सीट पसर जीत दर्ज की। 1967 से लेकर 2004 तक अलग- अलग पार्टी के लोग यहां से जीतकर लोकसभा में बांदा का प्रतिनिधित्व करते रहे। 2004 और 2009 में सपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की।

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1967 के बाद यह पहला मौका था जब किसी पार्टी ने बांदा की सीट पर लगातार दूसरी बार कब्जा किया। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के भैरो प्रसाद मिश्रा सांसद है। 63 वर्षीय भैरो प्रसाद मिश्रा पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए है। सोलहवीं लोकसभा में यह मानव संसाधन विकास से जुड़े मामलों की स्थाई समिति के सदस्य है। मौजूदा लोकसभा में इनकी उपस्थिति 100 प्रतिशत रही है। जहां एक ओर चर्चाओं में हिस्सा लेने का राष्ट्रीय औसत 57.9 है वहीं स्थानीय सांसद महोदय ने 1722 चर्चाओं में हिस्सा लिया है। इन्होंने अब तक 11 व्यक्तिगत सदस्य बिल पेश किए हैं।

लोकसभा वर्ष और पार्टी नाम

  • दूसरी 1957 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राजा दिनेश सिंह 
  • तीसरी 1962 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सावित्री निगम 
  • चौथी 1967 कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया जागेश्वर 
  • पांचवीं 1971 भारतीय जनसंघ रामरतन शर्मा 
  • छठीं 1977 जनता पार्टी अम्बिका प्रसाद पाण्डेय 
  • सातवीं 1980 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस रामनाथ दुबे 
  • आठवीं 1984 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भीष्म देव दुबे 
  • नौवीं 1989 बहुजन समाज पार्टी राम सजीवन 
  • दसवीं 1991 भारतीय जनता पार्टी प्रकाश नारायण त्रिपाठी 
  • ग्यारहवीं 1996 बहुजन समाज पार्टी राम सजीवन 
  • बारहवीं 1998 भारतीय जनता पार्टी रमेशचंद्र द्विवेदी 
  • तेरहवीं 1999 बहुजन समाज पार्टी राम सजीवन 
  • चौदहवीं 2004 समाजवादी पार्टी श्यामचंद्र गुप्ता 
  • पंद्रहवीं 2009 समाजवादी पार्टी आर.के.सिंह पटेल 
  • सोलहवीं 2014 भारतीय जनता पार्टी भैरो प्रसाद मिश्रा  

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