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चौंकाने वाला खुलासाः चुनावी साल में इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री में 62 फीसदी बढ़ोत्तरी

सांकेतिक फोटो।

समरनीति न्यूज,डेस्कः चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने हाल में इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। माकपा ने एक अलग याचिका में इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। चूंकि मामला अभी कोर्ट में है तो इसका खूब फायदा उठाया जा रहा है। एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री में 62 प्रतिशत का जोरदार उछाल आया है।

पुणे के आरटीआई कार्यकर्ता ने मांगी थी जानकारी 

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी से पता चलता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पिछले साल की तुलना में करीब 62 प्रतिशत बढ़ गई है। साल 2019 में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने 1,700 करोड़ रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे हैं। यह आरटीआई पुणे के विहार दुर्वे ने डाला था और जानकारी मांगी थी।

11 अप्रैल को है लोकसभा चुनाव का प्रथम चरण 

मांगी गई जानकारी के जवाब में एसबीआई ने बताया कि साल 2018 में उसने मार्च, अप्रैल, मई, जुलाई, अक्टूबर और नवंबर के माह में 1,056.73 करोड़ रुपए के बांड बेचे थे।  इस साल जनवरी और मार्च में बैंक ने 1,716.05 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे। इस तरह पिछले साल की तुलना में इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री में 62 प्रतिशत का इजाफा हुआ। मालूम हो कि लोकसभा के चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होना है।

आयोग गंभीर, चंदे की पारदर्शिता में भयानक खतरा

हाल ही में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड पार्टियों को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता में भयानक खतरा है। आयोग ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड योजना और कॉरपोरेट फंडिंग को असीमित करने से राजनीतिक दलों के पारदर्शिता/ राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के पारदर्शिता पहलू पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। ‘विदेशी योगदान नियमन कानून’ में संशोधन के केंद्र के फैसले पर, चुनाव आयोग ने कहा कि इससे भारत में राजनीतिक दलों को अनियंत्रित विदेशी फंडिंग की अनुमति मिलेगी और इससे भारतीय नीतियां विदेशी कंपनियों से प्रभावित हो सकती हैं।

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एसबीआई की शाखाओं के जरिए बेचा जाता है इलेक्टोरल बॉन्ड वित्त मंत्रालय द्वारा किसी अवधि के लिए बिक्री की अधिसूचना जारी होने के बाद एसबीआई की शाखाओं के जरिए इलेक्टोरल बॉन्ड बेचा जाता है।  एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार 2019 में सबसे अधिक 495.60 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड मुंबई में बेचे गए। इसी तरह कोलकाता में 370.07 करोड़ रुपये, हैदराबाद में 290.50 करोड़ रुपये, दिल्ली में 205.92 करोड़ रुपये और भुवनेश्वर में 194 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड बेचे गए।

केंद्र सरकार ने 2018 में किया था योजना को अधिसूचित 

इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को केंद्र सरकार ने 2018 में अधिसूचित किया था। इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है और फिलहाल इस मामले में सुनवाई जारी। 15 दिन के लिए वैध होते हैं इलेक्टोरल बॉंड जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29ए के तहत ऐसे राजनीतिक दल जिन्हें पिछले आम चुनाव या राज्य के विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत या उससे अधिक मत मिले हैं, इलेक्टोरल बॉन्ड प्राप्त करने के योग्य होते हैं। ये बॉन्ड 15 दिन के लिए वैध होते हैं और पात्र राजनीतिक दल इस अवधि में किसी अधिकृत बैंक में बैंक खाते के जरिये इन्हें भुना सकता है।

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