समरनीति न्यूज, कासगंजः यूपी के 25 जिलों में एक साथ नौकरी करके फर्जीवाड़ा करने वाली शिक्षिका अनामिका शुक्ला को आज शनिवार को पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। यूपी की कासगंज पुलिस ने शिक्षिका को उस वक्त गिरफ्तार किया है, जब उसने पद से इस्तीफा देने के लिए अपने साथी को बेसिक शिक्षाधिकारी के दफ्तर में भेजा। इसके बाद शिक्षिका कार्यालय के पास से पकड़ा गया। पुलिस शिक्षिका से पूछताछ कर रही है। बता दें कि इस शिक्षिका की पुलिस को काफी तलाश थी। शिक्षिका ने 25 जगह पर नौकरी करते हुए सरकार को 1 करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगा दिया। अब पूछताछ के दौरान शिक्षिका लगातार नए-नए खुलासे कर रही है जिनसे पुलिस भी हैरान हैं। इस दौरान शिक्षिका ने एक और बड़ा खुलासा किया है।
असली नाम प्रिया सिंह, दस्तावेजों में लिखाया ‘अनामिका शुक्ला’
दरअसल, मामले में कासगंज के अपर पुुलिस अधीक्षक पवित्र मोहन त्रिपाठी ने बताया है कि पकड़ी गई शिक्षिका का असली नाम प्रिया सिंह है, जबकि उसने दस्तावेजों में अपना नाम अनामिका शुक्ला लिखवा रखा था। एएसपी त्रिपाठी ने बताया कि शिक्षिका ने खुद पूछताछ में पुलिस को इसकी जानकारी दी है। बताया जाता है कि कासगंज की बीएसए अंजली अग्रवाल के दफ्तर में आज शिक्षिका अनामिका शुक्ला ने अपने साथी से त्यागपत्र भेजा था।
त्यागपत्र देने पहुंची थी बीएसए कार्यालय, कर्मचारियों ने पकड़ा
बीएसए व कर्मचारियों ने साथियों को दफ्तर में बैठा लिया, बाद में अन्य कर्मचारियों को भेजकर शिक्षिका अनामिका को सड़क से पकड़वाया। बताते हैं कि अनामिका शुक्ला कासगंज के कस्तूरबा विद्यालय फरीदपुर में पूर्णकालिक शिक्षिका के तौर पर सेवाएं दे रही थीं। अधिकारियों का कहना है कि उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की तैयारी की जा रही है। बताते चलें कि शिक्षिका ने फर्जीवाड़ा करके 1 करोड़ से ज्यादा का वेतन लिया है।
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बताते हैं कि बीएसए की सूचना पर कासगंज की सोरों पुलिस ने शिक्षिका को हिरासत में ले लिया। कोतवाली प्रभारी रिपुदमन सिंह ने मामले में बताया है कि शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया गया है। अब आगे की कार्रवाई की जा रही है। बताते हैं कि अनामिका कासगंज में कस्तूरबा गांधी स्कूल में फुल टाइम टीचर के तौर पर काम कर रही थीं। शिक्षिका ने अभिलेखों में अपना पता फर्रुखाबाद जिले के लखनपुर गांव का दर्शाया था। ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में अनामिका के अभिलेखों पर अलग-अलग जगहों पर शिक्षिकाएं नौकरी कर रही हैं। इतना ही नहीं अभिलेखों पर जो फोटो लगी है, वह इतनी धुंधली है कि उससे पहचान कर पाना संभव नहीं है।
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