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खास खबरः बांदा में खनिज वसूली सिंडीकेट पर कार्रवाई में ‘छोटे’ नपे, लेकिन ‘बड़े’ बच निकले

Lucknow team raided in Banda, 8 arrested for illegal recovery by planting mineral barrier

मनोज सिंह शुमाली, बांदाः इसमें दो राय नहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बुंदेलखंड समेत पूरे प्रदेश में खनन माफियाओं की कमर तोड़कर रख दी है। खासकर अवैध खनन करने वालों की। इसके बावजूद अवैध वसूली का सिंडीकेट बुंदेलखंड में कुछ जगहों पर आज भी हावी है। इसकी बड़ी वजह है सिंडीकेट की सरकारी मशीनरी से लेकर राजनीतिक गलियारे में गहरी घुसपैठ। शायद यही वजह है कि बड़े से बड़ा अपराध करके भी असल लोग आसानी से बच निकलते हैं और छोटे पकड़े जाते हैं। यहां बात सिर्फ माफियाओं की नहीं, बल्कि खनिज विभाग जैसे महकमों में जमें उन लोगों की भी हो रही है जिनकी संलिप्तता ऐसे मामलों में बराबर बनी रहती है। 

26 जून को पड़ा था एंटी करप्शन टीम का छापा 

इसका बड़ा उदाहरण बीती 26 जून को बांदा में उस वक्त देखने को मिला जब लखनऊ की एंटी करप्शन टीम ने जिले के चिल्ला थाने से कुछ ही दूरी पर स्थिति एक अवैध वसूली बैरियर पर छापा मारा। टीम ने वहां से 8 लोगों को गिरफ्तार किया। इतना ही नहीं मौके से 6 लाख 10 हजार रुपए की भारी भरकम नकदी बरामद की थी। जानकारों की माने तो यह नगदी मात्र 5 से 6 घंटे की वसूली की थी जो वहां से गुजरने वाले ओवरलोड बालू लदे ट्रकों से की गई थी।

रोजाना वसूल रहे थे ट्रकों से लाखों की रकम 

सवाल इस बात का है कि जब 5 से 6 घंटे में छह लाख से ज्यादा की वसूली की गई तो 24 घंटे में 25 से 30 लाख रुपए की वसूली कोई बड़ी बात नहीं। सोचने वाली बड़ी बात यह है कि क्या यह सब बिना किसी ‘बड़े’ की जानकारी के हो रहा था। क्या प्रशासनिक, पुलिस और राजनीतिक रूप से किसी को इसकी जानकारी नहीं थी।

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कैसे बीच सड़क पर बैरियर लगाकर थाने से चंद कदमों की दूरी पर अवैध वसूली की इन लोगों हिम्मत कर ली। क्या सिपाही, होमगार्ड और खनिज विभाग के बाबू व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अपने दम पर ऐसा कर सकते हैं..? चौंकाने वाली यह है कि इस मामले में किसी बड़े पर कार्रवाई नहीं की गई। मौके पर जो लोग पकड़े गए, उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। इस पूरे सिंडीकेट के पीछे कौन-कौन से लोग थे, किसी को पता नहीं चल सका है।  

क्या था पूरा मामला

बांदा जिले में चिल्ला थाने से चंद कदमों की दूरी पर खनिज विभाग का बैरियर लगाकर अवैध वसूली की जा रही थी। क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि ये काम कई महीनों से चल रहा था। थाने से कुछ ही दूरी पर था, इसलिए यह संभव नहीं है कि थाना पुलिस को इसकी जानकारी न हो। बाद  में कुछ लोगों ने इसकी शिकायत एंटी करप्शन टीम से की। टीम ने बड़े गोपनीय ढंग से छापा मारा। छापा इतना सटीक था कि वसूली में शामिल लोगों को भागने का मौका तक नहीं मिला। 

सफल रहा एंटी करप्शन टीम का छापा

इसकी एक वजह यह भी थी कि थाना चिल्ला की पुलिस को भी इस छापे की कोई जानकारी नहीं दी गई थी। छापे में एंटी करप्शन टीम ने जिन आठ लोगों को गिरफ्तार किया था उनमें दो खनिज विभाग के कर्मचारी और बाकी अन्य लोग थे। इसके बाद सभी को चिल्ला पुलिस के हवाले करके उनके खिलाफ धारा 7/13 की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। अबतक मामले में किसी बड़े अधिकारी या किसी प्रभावशाली व्यक्ति के इस वसूली में शामिल होने की जानकारी नहीं मिली है। क्षेत्र में अब भी इसकी चर्चाएं जोरों पर हैं। उधर, जिला खनिज अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनका मोबाइल फोन रिसिव नहीं हुआ। 

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