समरनीति न्यूज, बांदा : मांसाहारी लोग खाने के विभिन्न श्रोतों से प्रोटीन प्राप्त कर लेते है, लेकिन शाकाहारी लोग अपने खाने में कुछ ही दालों, सब्जियों अथवा कुछ चुनिंदा अनाज से ही प्रोटीन प्राप्त करते हैं। ऐसा हर व्यक्ति, खासकर गरीब की थाली के लिए संभव नहीं है। इसलिए खास बात यह है कि मशरूम की खेती और उत्पादन से गरीब से लेकर हर वर्ग के लिए न सिर्फ प्रोटीन की पूर्ति हो सकती है, बल्कि स्वरोजगार के रास्ते भी खुल जाते हैं।
मुख्य अतिथि बनकर शामिल हुए राज्यमंत्री
ये बातें बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय वेब सेमिनार में राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय ने कहीं। मुख्य अतिथि राज्यमंत्री ने कहा कि मशरूम की खेती युवाओं, किसानों, महिलाओं एवं बेरोजगारों के लिए बहुत उपयोगी है। सेहत की दृष्टि से भी और रोजगार की भी।
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इस मौके पर कुलपति डा. यूएस गौतम ने कहा कि आमदनी दोगुना करने तथा सामाजिक, आर्थिक विकास में मशरूम की खेती चाहे गरीब हो, बेरोजगार हो या कृषक हो। सभी के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। इस मौके पर प्रोफेसर डा. वीरेंद्र सिंह, डा. दुर्गा प्रसाद, डा. मंजीत सिंह, डा. आरपी सिंह, डा. होशियार सिंह नेगी, डा. उमेश चंद्रा, डा. नरेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।
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