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अब चीन में मस्जिदों पर लगेगा राष्ट्रीय ध्वज, मौलवी पढ़ाएंगे कम्युनिष्ट सिद्धांत

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, डेस्कः चीनी सरकार ने अपने देश में रहने वाले मुस्लिमों के प्रति एक और सख्त कदम उठाते हुए उनको कम्युनिष्ठ सिद्धांतों को न सिर्फ समझने की बात कही है बल्कि देश की मस्जिदों पर राष्ट्रीय ध्वज को अनिवार्य रूप से लगाने को भी कह दिया है। चीन की शीर्ष इस्लामिक नियामक संस्था ने अपने देश के मुस्लिमों से कहा है कि वे अपनी मस्जिदों के अपने परिसर में चीन के राष्ट्रीय ध्वज को फहराये। साथ ही मस्जिदों से आम लोगों को कम्युनिष्टों के सिद्धांतों को भी बताएं।

शीर्ष इस्लामिक नियामक संस्था ने मस्जिदों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने को कहा 

चीन के इस कदम को सरकार द्वारा धर्म पर अपनी पकड़ मजबूत करने के रूप में देखा जा रहा है। इस्लामिक नियामक संस्था चाईना इस्लामिक एसोसिएशन ने अपनी वेबसाइट पर जारी एक पत्र के माध्यम से कहा है कि झंडा मस्जिद परिसर के प्रमुख स्थान पर फहराया जाना चाहिए। संस्था ने कहा इस कदम से मुस्लिमों के बीच में राष्ट्रवाद की भावना मजबूत होगी।

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पत्र में कहा गया है कि मस्जिदों के जिम्मेदार लोगों को अपने यहां चीनी संस्कृति और परंपराओं की जानकारी देने की व्यवस्था करनी चाहिए। उनको चीनी मूल के इस्लामिक धर्मगुरुओं को प्रमुखता देनी चाहिए। बाहरी धर्मगुरुओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। इस पत्र के मुताबिक मस्जिदों के मौलवियों द्वारा वहां आने वाले मुस्लिमों को कम्युनिस्ट सिद्धांतों के बारे में भी बताया जाए। 

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उनके दिलों में कम्युनिज्म के नियम कायदे घर कर जाएं। चाईना इस्लामिक एसोसिएशन चीन की सरकार से संबध है और यही संस्था इमामों को मान्यता देती है। यह पत्र धार्मिक मामलों में चीन के नए संशोधन के बाद जारी किया गया है। देश के मुस्लिम समुदाय में हलचल महसूस की जा रही है। दरअसल, चीन सरकार के इस नए संशोधन में अस्वीकृत धार्मिक क्रियाकलापों पर कड़े दंड का प्रावधान है। 

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चीन सरकार ने संशोधन के माध्यम से कट्टरवाद की निगरानी और उससे निपटने के कड़े उपाय की दिशा में कदम उठाए हैं। पत्र में यह भी कहा गया है कि मस्जिद  की व्यवस्था में लगे लोग चीनी संविधान और नए संशोधन को पढ़ें और उसे समझें। इसके अलावा चीनी संस्कृति का भी भलीभांति अध्ययन करें।

कट्टरवाद से निपटने को चीन की पहल 

साथ ही मस्जिदों में आने वाले लोगों को भी इससे रूबरू कराएं। माना जा रहा है कि मस्जिदों को नया फरमान इसलिए दिया गया है ताकि मस्जिदें केवल इबादत का घर ही ना रहे बल्कि मुस्लिमों के बीच पार्टी और देश के कानून और नीतियों का प्रचार कर सकें। वहां मुस्लिम समुदाय के लोग हान के साथ मिल जुलकर रहते हैं। 

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इस्लाम उन पांच धर्मों में से एक है जिसे चीन की सरकार ने मान्यता दे रखी है। चीन में करीब 23 मिलियन मुस्लिम आबादी है लेकिन हकीकत यह है कि मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर चीन में जुल्मों-सितम दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं। 

चीन सरकार के नए आदेश से हलचल 

खासतौर से शिनजियांग प्रांत में मुस्लिमों को न तो खुले में इबादत की इजाजत है और न ही दाढ़ी रखने की। चीन सरकार के इस नए फरमान से देश की मुस्लिम आबादी में डर और आक्रोश दोनों महसूस किया जा रहे है। कई संगठनों ने चीनी सरकार के इस कदम को धार्मिक आजादी पर प्रतिबंध बताया है। साथ ही इसपर चिंता भी जताई है।