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विश्व रक्तदान दिवसः हर साल तेजी से घट रही रक्तदाताओं की संख्या

प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, डेस्कः पूरी दुनिया आज रक्तदान दिवस मना रही है। इसका सीधा सा उद्देश्य है कि दुनियाभर में लोगों को रक्तदान के प्रति प्रोत्साहित करके खून की कमी से होने वाली मौतों को रोका जा सके। भारत समेत दुनिया के कई देश खून की कमी से जूझ रहे हैं। हांलाकि चिंता की बात यह है कि भारत समेत दुनियाभर में रक्तदाताओं की संख्या तेजी से घट रही है। ऐसे में रक्तादान के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना और भी जरूरी हो जाता है।

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आखिर क्यों मनाते हैं रक्तदान दिवस

सभी के दिमाग में यह सवाल उठना लाजमी है कि आज के दिन विश्व रक्तदान दिवस क्यों मनाया जाता है। इसका जवाब है कि आज के लिए मानव विज्ञान में नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक कार्ल लैंडस्टाइन की याद में रक्तदान दिवस मनाया जाता है।

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दरअसल, मानव रक्त का वर्गीकरण करने का श्रेय कार्ल लैंडस्टाइन को ही जाता है। ऐसे में इस दिवस को रक्तदान के लिए लोगों को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ उससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करनरे के लिए मनाया जाता है।

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क्या कहते हैं रक्तदान से जुड़े आंकड़े

आंकड़ों पर गौर करें तो अकेले भारत में हर हाल रक्त की कमी से 1.36 लाख महिलाओं की खून की कमी के चलते मौत हो जाती है। यह संख्या दुनियाभर में गर्भावस्था और प्रसव के दौरान होने वाली मौतों का लगभग 25.7 प्रतिशत है। यह अपने आप में काफी चौंकाने वाली बात है। ऐसे में  ज्यादा से ज्यादा लोगों को रक्तदान में शामिल करने की जरूरत है।

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हर साल तेजी से घट रहे हैं रक्तदाता

सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि हर साल रक्तदाताओं की संख्या तेजी से घट रही है। नेशनल हेल्थ सर्विस ब्लड एंड ट्रांसप्लांट द्वारा जारी आंकड़ों पर गौर करें तो बीते 5 वर्षों में लगातार रक्तदाताओं की संख्या कम हुई है। संबंधित रिपोर्ट कहती है कि पुरुष रक्तदाताओं में 24.8 और महिला रक्तदाताओं में 6 प्रतिशत की कमी आई है।

रक्तदाताओं की कम संख्या की वजह

जानकार बताते हैं कि देश में तेजी से रक्तदाताओं की संख्या में कमी आ रही है। इसकी वजह रक्तदान को लेकर फैलीं गलतफहमियां हैं। दरअसल, जानकार बताते हैं रक्तदान को लेकर लोगों के भीत बहुत से गलतफहमियां फैली हुई हैं। शाकाहारी लोगों को लगता है कि उनके रक्तदान करने से आयरन की कमी हो जाएगी। कुछ शाकाहारी सोचते हैं कि उनके शरीर में आयरन की कमी है, इसलिए रक्तदान करना ठीक नहीं है।

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टैटू का चलन भी पैदा कर रहा भ्रांति

कुछ लोग मानते हैं कि शरीर पर टैटू गुदवाने के कारण वे रक्तदान नहीं कर सकते हैं, लेकिन डाक्टर बताते हैं कि हकीकत इसके विपरीत है। टैटू गुदवाने के लगभग 4 से 5 महीने बाद आसानी से रक्तदान किया जा सकता है। यहा बात टैटू के साथ पियर्सिंह पर भी लागू होती है। सबसे अहम बात यह है कि रक्तदान के दौरान कोई भी व्यक्ति जितना रक्तदान करता है, उसकी पूर्ति शरीर में नैचुरल तरीके से 24 घंटे के भीतर अपने आप हो जाती है।

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