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बांदा में जारी बालू ओवरलोडिंग, RTO और खनिज विभाग की मिलीभगत का अद्भुत परिणाम

Amazing results of sand overloading in Banda, collusion of RTO and Mineral Department
प्रतिकात्मक फोटो।

समरनीति न्यूज, बांदा : जिले में बालू खनन पूरी तरह चरम पर है। तमाम दावों और सख्ती के बावजूद खदानों से ओवरलोडिंग जारी है जो सड़कों से बेरोक-टोक गुजर रही हैं। सड़कों पर ओवरलोड बालू लदे ट्रक दौड़ते देखे जा रहे हैं। प्रशासनिक सख्ती के बावजूद आरटीओ विभाग और खनिज विभाग की मिलीभगत का ऐसा अद्भुत परिणाम है जो तमाम प्रयासों को दरकिनार कर रहा है। खासकर बांदा-फतेहपुर के सीमावर्ती इलाकों में स्थित खदानों पर कमोवेश यही हालात हैं। इतना ही नहीं नरैनी और मटौंध सीमा की खदानों पर भी यही खेल चल रहा है। जिला प्रशासन की सख्ती बेअसर दिखाई दे रही है।

पैलानी-चिल्ला व तिंदवारी की खदानों में हालात गंभीर

मुख्यालय से दूर होने की वजह से इन खदानों और वहां से ओवरलोड आने-जाने वाली गाड़ियों पर उच्चाधिकारियों की नजर नहीं पड़ रही है। इसका पूरा फायदा कहीं न कहीं खदान संचालक और वाहन चालक उठा रहे हैं।

Amazing results of sand overloading in Banda, collusion of RTO and Mineral Department

सूत्रों की माने तो बांदा में खप्टिहाकला, पैलानी, जसपुरा, पथरी और बेंदा में स्थित खदानों में सबसे ज्यादा ओवरलोड गाड़ियां निकाली जा रही हैं। थाना पुलिस के बाद खनिज और आरटीओ विभाग के लोग पूरी तरह से आंखें मूंदे हैं। इनमें से कुछ खदाने तो पहले से बदनाम हैं, लेकिन मुख्यालय से दूर होने की वजह से इनपर कोई रोक नहीं है।

एमपी और चुनिंदा जगहों तक ही सीमित होती कार्रवाई

दूसरी ओर खनिज विभाग की गठित टीम की कार्रवाई सिर्फ मध्य प्रदेश से आने वाली गाड़ियों या कुछ चुनिंदा खदानों तक ही सीमित रहती है।

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हजारों गाड़ियों में सिर्फ कुछ गाड़ियों पर कार्रवाई होती है। वहीं जब कोई प्रशासनिक अधिकारी जांच करता है तो सैंकड़ों गाड़ियों पकड़ी जाती हैं।

भ्रष्टाचार का अड्डा कहा जाता है बांदा RTO दफ्तर

क ही सीमित रहती है। जहां तक आरटीओ विभाग की बात करें तो भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है। खुद जिलाधिकारी द्वारा भी निरीक्षण करके सख्त निर्देश दिए जा चुके हैं।

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इसके बावजूद बांदा के आरटीओ विभाग के दफ्तर पर पूरी तरह से दलालों का कब्जा रहता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि विभागीय अधिकारी सड़कों पर होने वाली ओवरलोडिंग को लेकर कितने गंभीर होंगे। उधर, आरटीओ विभाग और खनिज विभाग के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका।