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बांदा चुनाव 2022 : तिंदवारी-232 पर BJP के रामकेश निषाद की अग्निपरीक्षा, तय होगा राजनीतिक करियर

Banda Election 2022 : Do or die situation for BJP's Ramkesh Nishad on Tindwari-232

मनोज सिंह शुमाली, ब्यूरो : UP Election 2022 : पूर्व पीएम वीपी सिंह वाली बांदा की तिंदवारी विधानसभा-232 सीट पूरे बुंदेलखंड में इस समय चर्चा का विषय बनी है। इसकी बड़ी वजह है। बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रामकेश निषाद पूर्व बीजेपी जिलाध्यक्ष बांदा हैं। संगठन में रहते हुए उन्होंने अच्छा काम किया। इसमें कोई दो राय नहीं है। मगर अब सीधेतौर पर जनता से उनका सामना है। बांदा की तिंदवारी विधानसभा 232 सीट पर उनको कड़ी चुनौती मिल रही है। तिंदवारी में सपा और बसपा दोनों पार्टियों के साथ-साथ कांग्रेस की महिला प्रत्याशी भी उनके लिए चुनौती से कम नहीं हैं।

कई मोर्चों पर हैं खुद का आस्तित्व बचाने की चुनौतियां

दरअसल, यह चुनाव रामकेश निषाद के राजनीतिक करियर की अग्निपरीक्षा होगी। उनका जिला अध्यक्ष पद जा चुका है। अगर चुनाव में हार हुई तो दोबारा मौका मिलना संभव नहीं होगा। राजनीतिक करियर पर ब्रेक लग सकता है। इसलिए उनको पूरी मेहनत से जुटना होगा। हालांकि, तिंदवारी निषाद और क्षत्रिय बाहुल्य सीट है।

निषाद वोटरों का सहारा, उसमें भी सपा की सेंध का डर

निषाद रामकेश के साथ जाएंगे, इसे लेकर भी क्षेत्र में काफी चर्चा है। कुछ लोगों का कहना है कि निषाद वोटर पूरी तरह से बीजेपी के साथ रहेगा। वहीं कुछ का कहना है कि तिंदवारी में निषादों के नेता सपा के विशंभर निषाद (राज्यसभा सांसद) माने जाते हैं और वह ऐसा नहीं होने देंगे। विशंभर पूरी ताकत लगाएंगे निषाद वोटरों को सपा में ले जाने की। इस सीट पर उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है।

Breaking BJP will change candidate of this seat in Banda this is reason

क्षत्रिय वोटरों में इन बातों की टीस, चुनाव में डालेगी असर

वहीं क्षत्रिय पहले से नाराज हैं। इसकी दो वजह हैं। पहली, तिंदवारी के लोगों में चर्चा है कि क्षत्रिय समाज के जिताऊ प्रत्याशी का टिकट कटवाने में रामकेश निषाद की खास भूमिका रही। कुछ अखबारों में तो यहां तक छपा कि रामकेश निषाद ने एक क्षत्रिय नेता को टिकट नहीं मिलने देने की प्रतिज्ञा की थी। हालांकि, ‘समरनीति न्यूज’ इसकी पुष्टि नहीं करता। लेकिन क्षेत्र की जनता में इसे लेकर अब भी चर्चा है। ऐसे में क्षत्रियों का एक बड़ा वर्ग उनसे दूर होता नजर आ रहा है।

यूपी की VIP विधानसभा सीटों में होती है तिंदवारी की गिनती

चर्चा तो यहां तक है कि क्षत्रिय वोटर बीजेपी से छटक सकते हैं। क्षत्रियों की नाराजगी की दूसरी वजह यह है कि पूरी बुंदेलखंड की 19 विधानसभा सीटों में एक पर भी भाजपा ने किसी क्षत्रिय को प्रत्याशी बनाकर मैदान में नहीं उतारा है।

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बल्कि जो थे भी, उनका भी पत्ता काट दिया। 3 लाख 9 हजार 634 मतदाताओं वाली तिंदवारी विधानसभा जिले की सदर विधानसभा के बाद सबसे ज्यादा हाईलाइट है। ऐसे में बीजेपी को जीत के लिए सभी घोड़े खोलने होंगे।

मतदान में सिर्फ 16 दिन ही शेष, सुस्ती पड़ सकती है भारी

चर्चा तो यह भी है कि तिंदवारी समेत बाकी सीटों पर भी बीजेपी के प्रत्याशी पार्टी फंड के इंतजार में प्रचार-प्रसार की रफ्तार नहीं बढ़ा रहे हैं। जोकि निश्चित ही उनको भारी पड़ेगा। अब बांदा में चारों सीटों पर 23 फरवरी को मतदान है। इसमें मात्र 16 दिन का समय बाकी है। ऐसे में रामकेश निषाद को गंभीरता से क्षेत्र में जनसंपर्क बढ़ाना होगा। वोटरों को भरोसा दिलाना होगा। उनका विश्वास जीतना होगा। क्योंकि अगर देरी हुई तो यह उनकी आखिरी राजनीतिक पारी साबित हो सकती है। उनकी जीत की राह में तमाम चुनौतियां हैं।

तिंदवारी विधानसभा का इतिहास

वर्ष – पार्टी – विधायक 

  • 2017 – बीजेपी – बृजेश प्रजापति
  • 2012 – कांग्रेस – दलजीत सिंह
  • 2007 – सपा – विशंभर प्रसाद
  • 2002 – सपा – विशंभर प्रसाद
  • 1996 – बीएसपी – महेंद्र पाल निषाद
  • 1993 – बीएसपी – विशंभर प्रसाद
  • 1991 – बीएसपी – विशंभर प्रसाद
  • 1989 – जेडी – चंद्रभान सिंह
  • 1985 – कांग्रेस – अर्जुन सिंह
  • 1981 – कांग्रेस – वीपी सिंह (बाई पोल)
  • 1980 – कांग्रेस – शिव प्रताप सिंह
  • 1977 – जेएनपी – जगन्नाथ सिंह
  • 1974 – बीजेएस – जगन्नाथ सिंह

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