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बांदा चुनाव 2022 : चारों सीटों पर त्रिकोणीय लड़ाई, कुछ प्रत्याशी अति विश्वास का शिकार

UP Election 2022 : Triangular contest in all four seats of Banda, some candidates are victims of overconfidence

मनोज सिंह शुमाली, बांदा : UP Election 2022 : यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर बुंदेलखंड के बांदा जिले की चारों विधानसभा सीटों पर चुनावी माहौल गरमा चुका है। सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। फिलहाल जो चुनावी पिक्चर सामने आ रही है। उसमें चारों ही विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बना हुआ है। प्रमुख दलों के बीच कांटे की लड़ाई फंसी है। मतदाता किसको जीत दिलाएंगे। कहना मुश्किल है। आने वाले दिनों में क्या माहौल बनता है। यह देखना है। बहरहाल, चुनावी चौपालों पर चर्चाओं का बाजार काफी गरम है। आने वाले दिनों में क्या हालात बनते हैं देखना बाकी है।

दलों के बीच कांटे की टक्कर, कांग्रेस देगी गहरी चोट

फिलहाल, सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी जीत के दावे ठोक रहे हैं। हां, कुछ प्रत्याशी जरूर अति विश्वास का शिकार हो गए हैं। वे स्वघोषित विजयी हैं। खुद को विजयी मान बैठे हैं। यही अति विश्वास इनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। सच्चाई यही है। फिलहाल हर सीट पर त्रिकोणीय लड़ाई है। इस चुनाव मेंं बीजेपी, सपा और बसपा के बीच टक्कर है तो कांग्रेस जीत-हार का बड़ा कारण बनने जा रही है।

UP Election 2022 : Triangular contest on Banda Sadar 235, Congress will hurt

बांदा में इन प्रत्याशियों के बीच होगा कड़ा मुकाबला

बांदा जिले की चार विधानसभा सीटों, बबेरू विधानसभा-233, सदर विधानसभा-235, तिंदवारी विधानसभा-232, नरैनी विधानसभा-234 पर पिछले चुनाव (2017) में मोदी लहर में बीजेपी ने जीत दर्ज कराई थी। इस बार हालात अलग हैं। सभी दल अपनी ताकत झोंक रहे हैं। कमोवेश हर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला बना है। बीजेपी तीन सीटों, बबेरू, नरैनी और तिंदवारी पर नए चेहरों और सदर सीट पर मौजूदा विधायक के साथ ताल ठोक रही है। वहीं सपा नए उत्साह के साथ पश्चिम की हवा को अपने पक्ष में करते हुए जीत को लेकर आतुर है।

सदर सीट पर बीजेपी-सपा व बसपा के बीच कांटे की टक्कर

सपा से सदर सीट पर पूर्व कांग्रेस विधायक स्व. विवेक सिंह की पत्नी मंजूला रानी चुनाव लड़ रही हैं। उनके साथ उनके दो बार के विधायक पति की मजबूत राजनीतिक पृष्ठभूमि है। महिला वोटरों का सपोर्ट भी है और क्षत्रिय वोटरों के अलावा सपा का वोट बैंक भी।

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वहीं सदर विधायक अपने 5 साल के कामकाज को लेकर जनता के बीच हैं। बसपा से धीरज राजपूत मैदान में हैं, जो कि बसपा के ठोस वोट बैंक के साथ लोधी समाज का भी सपोर्ट पाएंगे। वहीं कांग्रेस ने वैश्य समाज से वरिष्ठ नेता लक्ष्मी नारायण गुप्ता को मैदान में उतारा है। उनके साथ शहर का वैश्य समाज और कांग्रेस का परंपरागत वोटर है।

तिंदवारी में बीजेपी के रामकेश निषाद को कड़ी चुनौती

उधर, ठाकुर और निषाद बाहुल्य सीट तिंदवारी-232 में भाजपा-सपा और बसपा तीनों के बीच मुकाबला है। भाजपा ने प्रत्याशी के रूप में अपने जिलाध्यक्ष रामकेश निषाद को मैदान में उतारा है। उनको कड़ी चुनौती मिल रही है। कांग्रेस ने ब्राह्मण महिला उम्मीदवार आदिशक्ति दीक्षित को टिकट दिया है। वह कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेश दीक्षित की पत्नी हैं और तिंदवारी उनका मायका है।

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वहीं बसपा ने ठाकुर वोटबैंक को ध्यान में रखते हुए जयराम सिंह को मैदान में उतारा है। जयराम क्षत्रिय वोटरों और बसपा वोटरों के सहारे जीत दर्ज कराने को आतुर हैं। सपा को भी इस सीट पर कम करके नहीं आंका जा सकता है।

232 पर सपा ने भाजपा के ही पूर्व विधायक पर लगाया दांव

दरअसल, सपा ने भाजपा छोड़कर पार्टी ज्वाइन करने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या के कोटे वाले ब्रजेश प्रजापति पर दांव लगाया है। वह छोटे तबके के वोट झटकने में जुटे हैं। यहां भी सदर सीट की तरह चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प है।

नरैनी में तीन महिला प्रत्याशियों के बीच रौचक मुकाबला

कुछ ऐसा ही हाल नरैनी विधानसभा सीट का है। वहां सपा से किरन वर्मा और बसपा गयाचरण दिनकर मैदान में हैं। बीजेपी से ओममणि वर्मा को टिकट मिला है। बीजेपी प्रत्याशी कोरी समाज से आती हैं। कांग्रेस ने भी कोरी समाज से ही महिला पवन देवी कोरी को मैदान में उतारा है। इसलिए मुकाबला काफी रौचक हो गया है। बीजेपी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

बबेरू सीट पर दो पटेल प्रत्याशी, दांव पर विशंभर की प्रतिष्ठा

इसी तरह बबेरू विधानसभा सीट पर बीजेपी ने किसान मोर्चा के पदाधिकारी अजय पटेल को उम्मीदवार बनाया है। उनकी टक्कर सपा ने पूर्व विधायक विशंभर यादव से है। विशंभर दो बार के पूर्व विधायक हैं और इस चुनाव में उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। बबेरू यादव और पटेल वोटर बाहुल्य है।

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वहीं बसपा ने इस सीट से रामसेवक शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है। सबसे खास बात यह है कि कांग्रेस ने गजेंद्र सिंह पटेल को मैदान को टिकट देकर पटेल वोटों में सेंध लगाने का प्रयास किया है। निश्चित रूप से पटेल वोटर दो जगह बटेंगे। इन समीकरणों के बीच चारों सीटों पर सभी दलों के बीच बेहद कड़ा और दिलचस्प मुकाबला बना हुआ है।

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