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बीजेपी, बालू और बुंदेलखंड- ना निकाय की फिक्र, ना 2024 का चिंतन, यहां उल्टी हवा..

UP Elections 2022 : Candidates of big parties sitting on their hands waiting for party funds in Banda-Bundelkhand

समरनीति न्यूज, ब्यूरो : रिकार्ड समय में बने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की सौगात बताती है कि केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकारें इस पिछड़े क्षेत्र के विकास को लेकर गंभीर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हों या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। दोनों बड़े नेता बुंदेलखंड की दशा सुधारने के लिए संकल्पबद्ध नजर आते हैं। लेकिन स्थानीय स्तर पर हवा उल्टी बह रही है। यहां भारतीय जनता पार्टी के ज्यादातर नेताओं और जनप्रतिनिधियों का मिजाज बिल्कुल अलग नजर आता है।

सरकारों को ‘विकास’ तो स्थानीय नेताओं को भा रहा बालू

एक ओर लखनऊ से दिल्ली तक यूपी नगर निकाय और लोकसभा 2024 के चुनावों को लेकर बीजेपी में सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं, वहीं दूसरी ओर बुंदेलखंड में बीजेपी नेता चुनावी मूड से दूर नजर आ रहे हैं। ज्यादातर काम-धंधे में व्यस्त हैं। इसकी बहुत बड़ी वजह है बुंदेलखंड का बालू यानी मौरंग खनन। दरअसल, बुंदेलखंड के लगभग सभी जिलों में पार्टी के कई नेता अपने करीबियों के सहारे बालू खनन से जुड़े हुए हैं।

चुनावी मोड पर हाईकमान, यहां खनन को लेकर हो-हल्ला

यही वजह है कि जहां पार्टी हाईकमान और संगठन के पदाधिकारी पूरी तरह चुनावी मोड पर हैं। प्रदेशभर में मंत्रियों से लेकर संगठन पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। वहीं बुंदेलखंड के कई बीजेपी नेता बालू खनन में व्यस्त हैं।

कहीं MP के ट्रकों की इंट्री का शोर, तो कहीं नेता जी के बेटे का

कुछ मध्य प्रदेश के अवैध खनन वाले ट्रकों की इंट्री कराने में लगे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जो अपने करीबियों के नाम पर निजी भूमि के पट्टे कराकर खनन करा रहे हैं। यहां के एक माननीय के बेटे को लेकर इस समय पूरे बुंदेलखंड में काफी चर्चाएं हैं। बांदा जिले की नरैनी विधानसभा क्षेत्र में नेता जी के पुत्र काफी सक्रिय हैं।

मोदी और योगी के भरोसे जीत-हार, व्यक्तिगत जनाधार नहीं

मोदी और योगी के नाम पर जीतने आने वाले ऐसे नेताओं का व्यक्तिगत जनाधार न के बराबर है। कई ऐसे हैं जिनका जनता से सीधा जुड़ाव नहीं है। पार्टी हाथ हटा ले तो जमानत जब्त हो जाए। इन्हें न ही नगर निकाय चुनाव की फिक्र है और न लोकसभा 2024 के चिंतन का समय है। सरकार की भी किरकिरी करा रहे हैं।

BJP, sand and Bundelkhand - neither concern of body, nor contemplation of 2024, here reverse wind

सत्ता के साथ पार्टी बदल लेते हैं यहां ज्यादातर नेता

बांदा, हमीरपुर और बाकी जिलों में निजी भूमि पर बालू के पट्टे धड़ाधड़ हुए हैं। बांदा का हाल सबसे ज्यादा बुरा है। कई जगहों पर ट्रैक्टरों से अवैध खनन मिल जाएगा। ज्यादातर पट्टे भी बीजेपी नेताओं के करीबियों के नाम हैं। यही हालात बुंदेलखंड के बाकी जिलों हमीरपुर, महोबा, चित्रकूट, ललितपुर, झांसी आदि में भी हैं।

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दरअसल, 2017 और फिर 2022 विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की जो आंधी चली उसमें कई नेताओं को आसानी से जीत मिल गई। 

नतीजा : राज्यमंत्री के क्षेत्र में उप चुनाव में हुई हार

इसके बाद ज्यादातर दूसरे राजनीतिक दलों से पाला बदलकर आने वाले बालू कारोबारी बीजेपी में शामिल हुए। सरकारें बदलने के साथ इन नेताओं ने पार्टियां बदलीं, लेकिन धंधा नहीं। ऐसे में सरकार की छवि प्रभावित होना लाजमी है। बताते चलें कि बीजेपी ने बांदा के जसपुरा में हाल ही में हुए जिला पंचायत की जीती हुई सीट उप चुनाव में खो दी। समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर जीत दर्ज कराई। 1 साल में ही पार्टी ने वहां जनाधार खो दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि जिला पंचायत की यह सीट यूपी के राज्यमंत्री रामकेश निषाद के क्षेत्र में आती है। यानी राज्यमंत्री के क्षेत्र में पार्टी जिला पंचायत नहीं जीत सकी।   

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