समरनीति न्यूज, बांदा : शहर में मिठाइयों की दुकानें सजने लगी हैं। दीपावली में भले ही अभी 3 से 4 दिन का समय हो, लेकिन पहले से ही मिठाइयां बनाकर रखी जा रही हैं। आप यह नहीं कह सकते कि सिर्फ छोटी दुकानों पर ही मिलावट होती है, लखनऊ-कानपुर का उदाहरण ले लीजिए। जितनी बड़ी दुकान उतने बड़े मिलावटखोर, यह हाल है।
खाद्य विभाग अबतक कार्रवाई से दूर, कहीं सैंपुलिगं नहीं
जानकार बताते हैं कि बांदा में भी मिलावटी मिठाइयां बनती रही हैं। पैसा कमाने के लिए कुछ मिठाई वाले दुकानदार सारी मानवता किनारे रख देते हैं। उधर, खाद्य विभाग का अबतक कुछ पता नहीं है। न ही कोई खबर सामने आई है, कि खाद्य विभाग ने सैंपुलिंग की है। विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया। लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
महाराणा प्रताप चौराहे से रोडवेज तक फैला मिलावट का जाल
खासकर ऊंचीं दुकानों के पकवानों से बचाव करें। बांदा में रोडवेज के पास स्थित एक बड़ी मिठाई दुकान पर कई बार छापे पड़ चुके हैं। ऐसा ही हाल पुराने क्रासिंग के पास स्थित मिठाई की वर्षों पुरानी दुकानों का भी है। महाराणा प्रताप चौराहे के पास भी मिठाई की कई बड़ी और छोटी दुकानें हैं।
बड़ी-बड़ी दुकानों से खरीददारी से बचने में ही भलाई
कहीं भी आप भरोसा नहीं कर सकते हैं कि दुकान हाईफाई है तो मिठाई मिलावट वाली नहीं होगी। या सौ फीसदी मिलावट से आप बचे हुए हैं। दरअसल, यह भी सच है किसबसे ज्यादा मिलावट बड़ी दुकानों में ही मिलती है। दूसरी ओर खाद्य विभाग की ओर से अबतक कोई जांच-पड़ताल नहीं की जा रही है।
शहर की नामी-गिरामी दुकानें पर भी पड़ते रहे हैं छापे
न ही कोई सतर्कता दिखाई जा रही है। इस विभाग की हालत यह है कि साल में 1 या दो बार दफ्तरों से अधिकारी निकलते हैं। खानापूर्ति करते हैं। फिर बेशर्मी वाली अकर्मण्यता की चादर ओढ़कर सो जाते हैं। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। मिलावटी मिठाई वालों में कई नामी गिरामी भी शामिल रहते हैं। बढ़-चढ़कर मिलावटें करने में लगे हैं। इसीलिए कहा जाता है कि दीवाली पर बाजार की मिठाइयों से बचने में ही भलाई है।
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