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..अभी जिंदा है यह, बांदा जिला अस्पताल का एक रंग ऐसा भी

..It is still alive form of Banda District Hospital is also like this

समरनीति न्यूज, बांदा : ‘अभी जिंदा है।’ यह शब्द हैं बांदा जिला अस्पताल की एक नर्स के। जब उनसे एक महिला ने लावारिस मरीज की हालत देख हमदर्दीवश पूछ लिया कि इनकी हालत कैसी है..? जवाब मिला, अभी जिंदा है। नर्स के शब्दों न कोई सेवाभाव, न इंसानी संवेनाएं ही नजर आईं। महिला भी अवाक रह गईं। ऐसा लगा जैसे मरीज के जिंदा होने से उनको अफसोस हो। दरअसल, लावारिस के मुंह पर मख्खियां भिन-भिना रही थीं। उसके साथ कोई भी तिमारदार नहीं था। बेड पर बेडशीट नहीं थी।

अक्सर सामने आती हैं लापरवाहियां

इलाज के नाम पर ड्रिप चढ़ रही थी। बाकी सबकुछ भगवान भरोसे। दरअसल, जिला अस्पताल बांदा में स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही कोई नई बात नहीं है। आए दिन मरीजों की जान से खिलवाड़ यहां आम बात होती जा रही है। आज बुधवार सुबह भी एक ऐसा ही मामला देखने को मिला। ट्रामा सेंटर में भर्ती एक लावारिश व्यक्ति के प्रति स्वास्थ्य कर्मियों लापरवाही दिन दहला देने वाली रही।

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ठंड के मौसम में स्वास्थ्य कर्मियों ने इस मरीज के बेड पर चादर तक बिछाना सही नहीं समझा। मीडिया कर्मी वहां पहुंचा तो सिर्फ उसपर जल्दी-जल्दी कंबल डाला गया। बेडशीट बाद में भी नहीं बिछाई। अब इस लापरवाही को आप क्या कहेंगे।

मरीज की हालत गंभीर, फिर भी लापरवाही

ट्रामा सेंटर के डाक्टरों का हाल यह है कि मान रहे हैं कि मरीज की हालत गंभीर है। फिर भी डाक्टर्स गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। अगर गंभीर होते तो गरीब ट्रामा सेंटर में डाक्टर की सीट के पीछे पड़े बेड पर बिना बेडशीट के मरीज न लेटा होगा। अब आप इसको क्या कहेंगे, लापरवाही या अनदेखी।

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